Dr Vijay Bhatkar आज के डिजिटल युग में, जहां हर कार्य कंप्यूटर की सहायता से हो रहा है, वहीं भारत में कंप्यूटर क्रांति का बीज बोने वाले वैज्ञानिकों में एक नाम प्रमुख रूप से लिया जाता है – डॉ. विजय पांडुरंग भटकर। वे न केवल भारत के पहले सुपर कंप्यूटर के निर्माता हैं, बल्कि उन्होंने भारत को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कार्य किया है।
👶🏻 प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
जन्म – डॉ. विजय भटकर का जन्म 11 अक्टूबर 1946 को महाराष्ट्र के अकोला ज़िले में हुआ था। एक साधारण मराठी परिवार में जन्मे विजय भटकर को बचपन से ही विज्ञान और गणित में रुचि थी। उनका जीवन संघर्षों और कठिनाइयों से भरा रहा, लेकिन उनकी जिज्ञासा और मेहनत ने उन्हें सफलता के शिखर तक पहुँचाया।
शिक्षा –
- स्नातक: नागपुर विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
- स्नातकोत्तर: एम.टेक – महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, बड़ौदा
- पीएचडी: IIT दिल्ली से कंप्यूटर साइंस में
💡 प्रेरणा और तकनीकी यात्रा की शुरुआत
विजय भटकर को प्रेरणा मिली भारत को टेक्नोलॉजिकल रूप से विकसित देशों की श्रेणी में लाने की। 1980 के दशक में भारत सरकार को एहसास हुआ कि उसे सुपर कंप्यूटर जैसी तकनीक की आवश्यकता है। उस समय अमेरिका ने भारत को क्रे (Cray) सुपर कंप्यूटर देने से मना कर दिया।
❗ चुनौती से उत्पन्न हुआ अवसर
भारत ने जब अमेरिका से सुपर कंप्यूटर मांगा और मना किया गया, तब प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इस चुनौती को अवसर में बदलने की सोच रखी और C-DAC (Centre for Development of Advanced Computing) की स्थापना की।
🧠 C-DAC और PARAM का निर्माण
🏛️ C-DAC की स्थापना – 1988
डॉ. भटकर को इस संस्थान का निदेशक नियुक्त किया गया और उनकी अगुआई में भारत के पहले स्वदेशी सुपर कंप्यूटर का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ।
⚙️ PARAM 8000 – भारत का पहला सुपर कंप्यूटर (1991)
“PARAM” का अर्थ होता है – “परम शक्ति” या “अतुलनीय”। PARAM 8000 के निर्माण ने पूरे विश्व को चौंका दिया। उस समय यह सुपर कंप्यूटर 1 GFLOPS की गति से काम करता था और इसकी तुलना अमेरिका के आधुनिक सुपर कंप्यूटर से की जा सकती थी।

💥 प्रमुख विशेषताएं:
- 64 प्रोसेसरों के क्लस्टर पर आधारित
- C-DAC द्वारा पूर्णतः स्वदेशी निर्माण
- विश्व में भारत का तकनीकी गौरव स्थापित
🚀 PARAM की श्रृंखला और भविष्य की खोज
PARAM 8000 की सफलता के बाद, भटकर ने इसे एक अभियान बना दिया:
- PARAM 8600
- PARAM 9900
- PARAM 10000 – 1998 में लॉन्च हुआ, जिसकी गति 100 GFLOPS तक पहुँची
- PARAM YUVA – आधुनिक समय के लिए तैयार सुपर कंप्यूटर
📚 अन्य योगदान
डॉ. विजय भटकर केवल एक वैज्ञानिक नहीं, बल्कि एक संस्थापक, लेखक, विचारक और प्रेरणास्रोत भी हैं।
🏫 संस्थानों की स्थापना:
- ETH Research Laboratory (Pune)
- International Institute of Information Technology (I2IT), पुणे
- MAEER’s MIT Group of Institutions
- India International Multiversity – डिजिटल शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी पहल
📖 लेखन कार्य:
डॉ. भटकर ने तकनीकी विषयों पर 15 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें विज्ञान, तकनीकी विकास और भारत की आत्मनिर्भरता को लेकर गहन विश्लेषण किया गया है।
🏅 सम्मान और पुरस्कार
डॉ. विजय भटकर को भारत सरकार और विभिन्न संस्थानों द्वारा अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है:
- पद्मश्री – 2000
- पद्मभूषण – 2015
- Dataquest Lifetime Achievement Award
- IETE-Ram Lal Wadhwa Award
- Maharashtra Bhushan Award
- IEEE Fellowship
🌏 डिजिटल इंडिया और भटकर का दृष्टिकोण
डॉ. भटकर ने Digital India, e-Governance, और Make in India जैसे अभियानों के समर्थन में अनेक सुझाव दिए और कार्यों में भागीदारी की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत को सूचना प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर और नवाचार केंद्र बनना चाहिए।
🙏🏻 दृष्टिकोण और आदर्श
Dr Vijay Bhatkar का विश्वास रहा है कि भारत की समस्याओं का समाधान भारतीय ज्ञान परंपरा और आधुनिक विज्ञान के मेल से संभव है। वे संत तुकाराम, महात्मा गांधी और विवेकानंद से अत्यधिक प्रेरित रहे हैं।
उनका कहना है –
“सुपर कंप्यूटर बनाना कठिन नहीं था, कठिन था भारत में विश्वास पैदा करना कि हम भी बना सकते हैं।”
🌱 युवा पीढ़ी के लिए संदेश
Dr Vijay Bhatkar युवाओं को नवाचार, अनुसंधान और तकनीकी नेतृत्व के लिए प्रेरित करते हैं। वे मानते हैं कि भारत का भविष्य युवा मस्तिष्कों में छिपा है, और केवल वही भारत को विकसित राष्ट्र बना सकते हैं।
🔚 निष्कर्ष
Dr Vijay Bhatkar का जीवन इस बात का प्रमाण है कि अगर संकल्प दृढ़ हो और दिशा सही हो, तो कोई भी कार्य असंभव नहीं होता। उन्होंने यह सिद्ध किया कि भारत किसी भी विदेशी तकनीक पर निर्भर नहीं है और अपनी तकनीकी क्षमता के बल पर दुनिया को चुनौती दे सकता है।
वे केवल एक वैज्ञानिक नहीं, बल्कि एक युगद्रष्टा हैं, जिनकी सोच ने भारत को तकनीकी स्वराज की दिशा में अग्रसर किया।





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