Jharkhand traditional food – स्वाद, परंपरा और प्रकृति का संगम

झारखंड भारत का एक ऐसा राज्य है, Jharkhand traditional food जो न केवल खनिज संपदा और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी लोक संस्कृति और पारंपरिक खान-पान भी अत्यंत समृद्ध हैं। यहाँ का भोजन न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि यह स्थानीय कृषि, जलवायु, जनजातीय संस्कृति और पारंपरिक जीवनशैली का जीवंत प्रतिबिंब भी होता है।

इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे झारखंड के पारंपरिक व्यंजनों, उनके पोषण मूल्य, पकाने की शैली, त्योहारों के भोजन, और बदलते समय में इनकी प्रासंगिकता के बारे में।


🔸 झारखंड के पारंपरिक भोजन की विशेषताएं

झारखंड का पारंपरिक भोजन सरल, सादा और पोषण से भरपूर होता है। Jharkhand traditional food यहाँ के लोग मुख्यतः चावल, दाल, सब्जियां, वनस्पति, कंद-मूल और मांसाहारी आहार पर निर्भर रहते हैं।

प्रमुख विशेषताएं:

  • स्थानीय फसलों पर आधारित – चावल, मड़ुआ, झुंझुनिया, चना, उड़द आदि।
  • वन्य उपज का उपयोग – साग, मशरूम (पुटू), बाँस की कोपले, जंगली फल।
  • कंद-मूलों का महत्त्व – जिमीकंद, सूरन, कोचू।
  • सरल और पारंपरिक पकाने की विधि – अधिकतर लकड़ी के चूल्हों पर मिट्टी के बर्तनों में।
  • स्वदेशी मसालों और औषधीय पौधों का प्रयोग

🔸 प्रमुख पारंपरिक व्यंजन

1. धुसका

  • क्या है? – चावल और उड़द दाल के घोल से बना तला हुआ व्यंजन।
  • कैसे बनता है? – चावल और दाल को पीसकर घोल तैयार किया जाता है और तेल में गोल-गोल पूरियों की तरह तला जाता है।
  • कब खाया जाता है? – नाश्ते और त्योहारों में।

2. पीठा

  • क्या है? – चावल के आटे से बनी मिठाई या नमकीन पकवान।
  • प्रकार – दाल पीठा (भरावन में दाल), गुड़ पीठा (भरावन में नारियल और गुड़), साक पीठा आदि।
  • कब बनता है? – तीज, छठ, सावन आदि त्योहारों में।

3. चिल्का रोटी

  • क्या है? – चावल और चने की दाल से बनी पतली डोसे जैसी रोटी।
  • परोसने का तरीका – इसे अचार, चटनी या सब्जी के साथ खाया जाता है।

4. हांड़ी का चावल (हांड़ी भात)

  • क्या है? – मिट्टी की हांड़ी में पकाया गया चावल।
  • विशेषता – इसमें मिट्टी की खुशबू और पारंपरिक स्वाद होता है।

5. सिद्दी (सिदकी)

  • क्या है? – धान को उबालकर तैयार की गई चावल जैसी खाद्य सामग्री, जिसे ठंडा करके खाया जाता है।
  • गर्मी के मौसम में उपयोगी – शरीर को ठंडा रखने में सहायक।

6. बोरा

  • क्या है? – चावल के आटे से बनी गेंदनुमा पकौड़ी जिसे सब्जियों या दाल के साथ खाया जाता है।

🔸 जनजातीय व्यंजन: प्रकृति से जुड़ा भोजन

झारखंड की जनजातियाँ Jharkhand traditional food (जैसे संथाल, मुंडा, हो, उरांव) पारंपरिक रूप से वन्य उपज, जंगली सब्जियों, कंदों, मछलियों और सागों पर आधारित भोजन करती हैं।

कुछ विशिष्ट जनजातीय व्यंजन:

1. कुरथी दाल

  • एक स्थानीय दाल जिसे संथाल समुदाय द्वारा विशेष पसंद किया जाता है।

2. पुटू (जंगली मशरूम)

  • मानसून में उगने वाला मशरूम जिसे हल्दी और सरसों के तेल में भूनकर खाया जाता है।

3. बांस की कोपले (बांसूड़)

  • नवोदित बांस को उबालकर सब्जी की तरह खाया जाता है।

4. कोहड़ा फूल की सब्जी

  • कद्दू के फूलों को बेसन में लपेटकर तलकर पकौड़े बनाए जाते हैं।

5. रेड ऐंट चटनी (हड़का चटनी)

  • लाल चिटियों और उनके अंडों से बनाई जाने वाली तीखी चटनी, खासतौर पर उरांव जनजाति में प्रसिद्ध।

🔸 लोक साग और सब्जियां

झारखंड की खासियत उसके देशज साग हैं, Jharkhand traditional food जो बहुत ही पोषक होते हैं:

लोक नामहिंदी नामउपयोग
कोंदो सागलाल सागगर्मियों में खाया जाता है
चंचड़ी सागजंगली सागचावल के साथ उबालकर
नेनुवातोरईहल्की सब्जी में
सोहजनसहजनफूल, फल और पत्ते उपयोग में

Jharkhand traditional food Image
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🔸 पारंपरिक पेय

1. हांड़ीया

  • चावल से बनी हल्की मादक पेय जो खासकर जनजातीय पर्वों में प्रयोग होती है।

2. महुआ का रस

  • महुआ फूलों से निकाला गया रस जिसे पका कर पेय और मिठाई दोनों में उपयोग किया जाता है।

3. लाल चाय और सत्तू घोल

  • गर्मियों में सत्तू का घोल पारंपरिक ऊर्जा पेय है।

🔸 पर्व-त्योहारों में पकने वाले व्यंजन

झारखंड के हर त्योहार में विशिष्ट पकवान बनते हैं:

पर्वव्यंजन
तीजदाल पीठा, गुड़ पीठा
करमाचावल, दही, पुटू
सरहुलहांड़ी भात, साग, पुटू
मकर संक्रांतितिलkut, दही-चूड़ा
छठठेकुआ, कसार

🔸 पारंपरिक मसाले और पकाने की शैली

झारखंडी भोजन में मसालों का प्रयोग संयमित होता है:

  • सरसों, जीरा, लहसुन, हल्दी, मिर्च मुख्य मसाले हैं।
  • सरसों का तेल विशेष रूप से प्रयोग होता है।
  • पकाने की पारंपरिक शैली – उबालना, भूनना, और लकड़ी की आंच पर धीमी गति से पकाना।

🔸 बदलते समय में पारंपरिक भोजन की स्थिति

आजकल झारखंड में शहरीकरण, बाज़ारवाद और बाहरी प्रभाव के चलते पारंपरिक व्यंजन धीरे-धीरे कम लोकप्रिय हो रहे हैं। परंतु अब लोग स्वास्थ्य और स्थानीयता को महत्व देने लगे हैं, जिससे पारंपरिक भोजन पुनः लोकप्रिय हो रहा है।

संरक्षण के प्रयास:

  • होटलों में पारंपरिक मेनू की शुरूआत।
  • मेले, उत्सवों और स्कूलों में पारंपरिक खाना प्रस्तुत करना।
  • सोशल मीडिया और यूट्यूब चैनलों द्वारा पारंपरिक रेसिपियों को बढ़ावा देना।

🔸 पारंपरिक भोजन का पोषण मूल्य

झारखंडी व्यंजन में आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन, और फाइबर भरपूर मात्रा में होते हैं। ये भोजन प्राकृतिक, रसायन-मुक्त, और शरीर के अनुकूल होते हैं।

व्यंजनपोषण तत्व
सत्तूफाइबर, प्रोटीन
सागआयरन, फोलिक एसिड
मशरूम (पुटू)प्रोटीन, विटामिन
धुसकाकार्बोहाइड्रेट

🔸 निष्कर्ष

झारखंड का पारंपरिक भोजन केवल एक प्लेट में सजे व्यंजनों का नाम नहीं है, बल्कि यह उसकी लोक संस्कृति, प्रकृति से जुड़ाव और आत्मनिर्भर जीवनशैली का प्रतीक है। यदि हम इन व्यंजनों को संरक्षित करें, तो हम न केवल अपने अतीत को सहेज पाएंगे, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्वस्थ और टिकाऊ आहार का रास्ता भी प्रशस्त करेंगे।


✍️ लेखक: vsasingh.com टीम
📅 प्रकाशित तिथि: 14 अगस्त 2025
🌐 स्रोत: www.vsasingh.com

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