झारखंड केवल खनिजों और वनसंपदा का राज्य ही नहीं है, Festivals of Jharkhand बल्कि यह पर्वों और त्योहारों की भी भूमि है। यहाँ के त्योहार ना केवल धार्मिक विश्वासों को अभिव्यक्त करते हैं, बल्कि प्रकृति, कृषि और जनजातीय जीवनशैली से गहरे जुड़े होते हैं। झारखंड के अधिकतर पर्वों का संबंध प्राकृतिक ऋतुओं, फसलों और जनजातीय संस्कृति से है। यहाँ के पर्वों में नाच-गाना, लोकगीत, पारंपरिक नृत्य और सामूहिक उत्सव का विशेष महत्व होता है। Festivals of Jharkhand यह लेख आपको झारखंड के प्रमुख त्योहारों की एक समग्र झलक देगा।
🌱 1. सरहुल – प्रकृति का पूजन
🌼 परिचय:
सरहुल झारखंड का सबसे प्रमुख और पवित्र आदिवासी पर्व है। यह वसंत ऋतु में चैत्र महीने (मार्च–अप्रैल) में मनाया जाता है। सरहुल शब्द का अर्थ है – ‘साल वृक्ष की पूजा’।
🎋 विशेषताएँ:
- साल वृक्ष के नए पत्तों को पूजित कर प्रकृति को धन्यवाद दिया जाता है।
- पाहन (गांव का पुजारी) पूरे गाँव के लिए पूजा करता है।
- महिलाएँ पारंपरिक लाल-सफेद साड़ी पहनकर नृत्य करती हैं।
- हड़िया (स्थानीय चावल बीयर) और पारंपरिक गीतों का चलन।
🌾 सांस्कृतिक महत्व:
सरहुल जीवन में संतुलन, हरियाली और वर्षा के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। Festivals of Jharkhand यह पर्व पर्यावरण चेतना को भी प्रकट करता है।
🌳 2. करम – भाई-बहन और हरियाली का उत्सव
🍃 परिचय:
भाद्रपद महीने (अगस्त–सितंबर) में मनाया जाने वाला करम पर्व प्रकृति और भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है।
🎍 उत्सव की प्रक्रिया:
- महिलाएं करम वृक्ष की डाल लेकर पूजा करती हैं।
- ‘करम गीत’ गाए जाते हैं और पूरी रात जागरण होता है।
- भाई की लंबी उम्र और सुख के लिए बहनें उपवास रखती हैं।
- करम डाल को खेतों में स्थापित कर वर्षा और फसल की कामना की जाती है।
🪔 सामाजिक महत्व:
करम पर्व नारी शक्ति और प्रकृति पूजन का सुंदर उदाहरण है।
🌾 3. सोहराय – पशुधन और फसल का त्योहार

🐂 परिचय:
सोहराय पर्व दीपावली के आसपास मनाया जाता है और यह मवेशियों तथा फसल की रक्षा के लिए मनाया जाता है।
🎨 मुख्य बातें:
- पशुओं को सजाया जाता है और उन्हें हल्दी से नहलाया जाता है।
- दीवारों पर पारंपरिक सोहराय पेंटिंग बनाई जाती है।
- महिलाएं पारंपरिक नृत्य करती हैं और लोकगीत गाए जाते हैं।
- बैल दौड़ और पशु पूजा का आयोजन।
🌻 सांस्कृतिक मूल्य:
यह पर्व आदिवासियों की पशु-प्रेम और कृषि के प्रति आस्था को दर्शाता है।
🧑🎤 4. टुसू पर्व – महिलाओं का लोक त्यौहार
💃 परिचय:
यह पर्व मकर संक्रांति के अवसर पर मनाया जाता है, खासकर संथाल और कुड़मी समुदायों में। टुसू देवी का प्रतीक एक मिट्टी की गुड़िया होती है।
📿 उत्सव की झलक:
- युवतियाँ रंग-बिरंगे वस्त्रों में टुसू गीत गाती हैं।
- अंतिम दिन नदी या तालाब में टुसू प्रतिमा का विसर्जन होता है।
- हाट बाजारों में लोकगायन प्रतियोगिताएँ होती हैं।
🌺 समाज में प्रभाव:
यह पर्व ग्रामीण महिलाओं के सामाजिक मेल-जोल, कला और आत्म-अभिव्यक्ति का अवसर है।
🥁 5. बंदना – मवेशियों की आरती का पर्व
🐃 विवरण:
बंदना पर्व दीपावली के समय गोधन पूजा के रूप में मनाया जाता है।
- घर की दीवारों पर गोबर और मिट्टी से अल्पनाएं बनाई जाती हैं।
- पशुओं की पूजा की जाती है और उन्हें मिठाई खिलाई जाती है।
- महिलाओं द्वारा बंदना गीत गाए जाते हैं।
🐄 मूल भावना:
यह त्योहार पशुधन के प्रति आभार प्रकट करता है और पारंपरिक जीवनशैली का हिस्सा है।
🌠 6. जिउतिया – संतान के लिए उपवास
🙏 विशेषता:
- महिलाएं संतान की लंबी उम्र और सुख के लिए यह व्रत करती हैं।
- निर्जला उपवास रखकर जिउतिया गीत गाए जाते हैं।
- यह त्यौहार विशेष रूप से मैथिल और भोजपुरी भाषी क्षेत्रों में प्रसिद्ध है।
🎉 7. छठ पूजा – सूर्य उपासना का पर्व
🌅 महत्व:
- कार्तिक और चैत्र माह में सूर्य देव की उपासना की जाती है।
- महिलाएं नदी किनारे व्रत रखती हैं और अर्घ्य देती हैं।
- यह झारखंड के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में अत्यधिक श्रद्धा से मनाया जाता है।
🪔 8. दीपावली, होली और दशहरा
हालांकि ये राष्ट्रीय त्योहार हैं, लेकिन झारखंड में इनका एक स्थानीय और जनजातीय रंग भी देखने को मिलता है।
- दशहरा के समय पारंपरिक शस्त्र पूजन और रामलीला होती है।
- होली में पारंपरिक ढोल-नगाड़ों और आदिवासी नृत्यों का समावेश होता है।
- दीपावली में सोहराय और बंदना का मेल होता है।
🕊️ 9. ईद, क्रिसमस और गुरु पर्व
झारखंड की विविधता यहाँ की धर्मनिरपेक्षता को दर्शाती है:
- रांची और जमशेदपुर में ईद और क्रिसमस पूरे हर्षोल्लास से मनाए जाते हैं।
- गिरजा घरों को सजाया जाता है, और जनजातीय ईसाई समुदाय पारंपरिक तरीके से यीशु का जन्मोत्सव मनाते हैं।
🎭 10. झारखंड के मेले और हाट त्योहार
- शिकारीपाड़ा हाट (दुमका) – टुसू मेले के दौरान प्रसिद्ध।
- राजरप्पा मेला – चैत्र नवरात्र में शक्ति पूजा का पर्व।
- बासुकीनाथ मेला – सावन में बाबा बैद्यनाथ के समानांतर प्रसिद्ध।
📸 सांस्कृतिक प्रतीक और कलात्मक अभिव्यक्तियाँ
झारखंड के त्योहारों में:
- नृत्य रूप: पाहन, झूमर, डोमkach
- वाद्य यंत्र: मांदर, नगाड़ा, बांसुरी
- पहनावा: आदिवासी महिलाएं लाल-सफेद साड़ी, पुरुष धोती-कुर्ता
- भोजन: पिठा, हंडिया, चावल-भात, लाल भात
✅ निष्कर्ष
झारखंड के पर्व केवल उत्सव नहीं, बल्कि संस्कृति, आस्था, और प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व का सजीव उदाहरण हैं। Festivals of Jharkhand यहाँ के त्योहार पर्यावरण के प्रति सजगता, सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विविधता को सहेजते हैं। आधुनिकता की ओर बढ़ते हुए भी झारखंड अपनी परंपराओं से गहराई से जुड़ा हुआ है।
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