बिहार की सांस्कृतिक विरासत का सबसे जीवंत पहलू है Festivals Fairs of Bihar यहाँ के उत्सव और मेले, जो सामाजिक एकता, धार्मिक आस्था, और परंपराओं को मजबूती प्रदान करते हैं। यहाँ के पर्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक, कृषि, और पारिवारिक जीवन से भी जुड़े हुए हैं। इन आयोजनों में बिहार की लोकसंस्कृति, लोकगीत, लोकनृत्य और शिल्प का समागम होता है।
✅ 1. छठ महापर्व (Chhath Puja)
महत्व:
बिहार का सबसे प्रमुख और विशिष्ट पर्व, जो सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित होता है। इसमें स्त्री-पुरुष निर्जल उपवास रखकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
विशेषताएँ:
- 4 दिन का कठिन तप (नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य, प्रातः अर्घ्य)
- गंगा, पोखर या तालाब के किनारे सामूहिक पूजा
- पारंपरिक गीत, प्रसाद (ठेकुआ), और दीप सज्जा
- पर्यावरण और पवित्रता का विशेष महत्व
✅ 2. श्रावणी मेला (Shravani Mela)
स्थान:
सुल्तानगंज से देवघर तक की 105 किमी की यात्रा
महत्व:
भगवान शिव को समर्पित, यह मेला श्रावण मास में आयोजित होता है जिसमें कांवड़िए गंगाजल लेकर देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम में चढ़ाते हैं।
विशेषताएँ:
- लाखों श्रद्धालु सफर तय करते हैं
- “बोल बम” के नारे गूंजते हैं
- धार्मिक आस्था और साहसिक यात्रा का संगम

✅ 3. सौराठ सभा (Saurath Sabha)
स्थान:
मधुबनी ज़िले के सौराठ गांव में आयोजित
महत्व:
मिथिला ब्राह्मणों का पारंपरिक वर-वधू मिलन सम्मेलन
(वैवाहिक रिश्ता तय करने की ऐतिहासिक परंपरा)
विशेषताएँ:
- पंजीकरण पुस्तिका (पंजिका) के आधार पर रिश्ता तय
- वैदिक रीति-रिवाज़ों का पालन
- सामाजिक और सांस्कृतिक समागम
✅ 4. सोनपुर मेला (Sonepur Cattle Fair)
स्थान:
सोनपुर, सारण जिला
महत्व:
एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला, जो कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित होता है।
विशेषताएँ:
- हाथी, घोड़े, गाय, बैल जैसे पशुओं की ख़रीद-बिक्री
- झूले, सर्कस, जादू शो, लोकनृत्य आदि
- धार्मिक स्नान और हरिहरनाथ मंदिर दर्शन
✅ 5. पितृपक्ष मेला, गया (Pind Daan Fair)
स्थान:
गया
महत्व:
पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान की परंपरा। यह मेला हिन्दू धर्म में पवित्र माना जाता है।
विशेषताएँ:
- देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं
- फल्गु नदी किनारे पिंडदान किया जाता है
- गया महात्म्य ग्रंथ में भी इसका वर्णन
✅ 6. अन्य लोक-उत्सव
उत्सव का नाम | विवरण |
---|---|
मकर संक्रांति | तिल-गुड़ की मिठास, गंगा स्नान और दान |
होली और फगुआ | रंगों के साथ पारंपरिक लोकगीत (फगुआ) |
दीवाली | लक्ष्मी पूजन के साथ दीप सज्जा |
दशहरा | रामलीला, रावण दहन और विजय उत्सव |
ईद-बकरीद | मुस्लिम समुदाय के सबसे बड़े पर्व, सौहार्द का संदेश |
बुद्ध पूर्णिमा | बोधगया में विशेष उत्सव, अंतरराष्ट्रीय श्रद्धालुओं का आगमन |
विवाह पंचमी | मिथिला क्षेत्र में सीता-राम विवाह उत्सव |
✅ 7. कृषि और प्रकृति से जुड़े पर्व
पर्व | विवरण |
---|---|
समा-चकेवा | मिथिला की बहन-भाई परंपरा, शरद ऋतु में |
जुड़-शीतल | वैशाख माह में जल छिड़ककर शीतलता की कामना |
हरियाली तीज | प्रकृति, हरियाली और सौंदर्य का उत्सव |
🔚 निष्कर्ष:
बिहार के मेले और उत्सव धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक समृद्धि और सामाजिक एकता के प्रतीक हैं। Festivals Fairs of Bihar यहाँ के आयोजनों में लोकसंस्कृति की झलक, जीवंत परंपराएं और सामाजिक मेल-जोल का अद्भुत अनुभव मिलता है। ये पर्व बिहार की पहचान हैं और इसकी विविधता को दर्शाते हैं।
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