निकुंज भगत झारखंड के प्रसिद्ध लोक गायक और सांस्कृतिक धरोहर के संवाहक हैं। Nikhunj Bhagat biography वे झारखंड की पारंपरिक लोकगीतों, करमा, जदुर और जनजाती संस्कृति को अपनी गायकी के माध्यम से संरक्षित और प्रसारित करते रहे हैं। उनकी आवाज़ में झारखंड की मिट्टी की खुशबू और लोकजीवन की सादगी झलकती है।
प्रारंभिक जीवन
निकुंज भगत का जन्म झारखंड के एक छोटे से गाँव में हुआ। बचपन से ही उन्हें संगीत का शौक था। उनका परिवार भी पारंपरिक लोकसंस्कृति से जुड़ा हुआ था, जिसने उन्हें लोकगायन की ओर प्रेरित किया।
शिक्षा और संगीत प्रशिक्षण
- प्रारंभिक शिक्षा गाँव के ही स्कूल से।
- लोक वाद्ययंत्रों और पारंपरिक संगीत की शिक्षा परिवार और गाँव के बुजुर्ग कलाकारों से मिली।
संगीत करियर की शुरुआत
Nikhunj Bhagat ने अपनी गायकी की शुरुआत गाँव के मेलों, तीज-त्योहारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से की। उनकी आवाज़ और प्रस्तुति ने लोगों को बहुत प्रभावित किया। धीरे-धीरे वे राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय मंचों तक पहुंचे।
शुरुआती पहचान
- लोकगीतों की रिकॉर्डिंग और प्रसारण से उन्हें लोकप्रियता मिली।
- ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन पर उनके गीत प्रसारित हुए।
प्रमुख रचनाएं और योगदान
Nikhunj Bhagat ने करमा, जदुर, डोमकच, फगुआ और सोहर जैसे पारंपरिक गीतों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का काम किया।
योगदान
- पारंपरिक लोकगीतों का संग्रह और गायन।
- युवाओं को लोकसंस्कृति से जोड़ने के प्रयास।
- झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर को मंचों पर प्रस्तुत करना।
सामाजिक भूमिका
Nikhunj Bhagat केवल गायक ही नहीं, बल्कि समाज में जागरूकता फैलाने वाले कलाकार भी हैं। वे अपने गीतों के माध्यम से शिक्षा, स्वच्छता, सामाजिक कुरीतियों और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हैं।

उपलब्धियां
- राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार।
- झारखंड की संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय मंच तक ले जाने का प्रयास।
- कई सांस्कृतिक महोत्सवों में सम्मानित।
व्यक्तिगत जीवन
निकुंज भगत का जीवन सरल और लोकजीवन से जुड़ा हुआ है। वे अपनी संस्कृति और समाज से गहराई से जुड़े हुए हैं और हमेशा लोकगीतों को बढ़ावा देने में लगे रहते हैं।
विरासत
निकुंज भगत झारखंड के उन लोक कलाकारों में से हैं जिन्होंने अपनी कला से नई पीढ़ी को प्रेरित किया। उनकी गायकी आने वाले वर्षों तक झारखंड की सांस्कृतिक पहचान बनी रहेगी।
FAQ
1. निकुंज भगत कौन हैं?
वे झारखंड के प्रसिद्ध लोक गायक और सांस्कृतिक धरोहर के संवाहक हैं।
2. उन्होंने किन गीतों को लोकप्रिय बनाया?
करमा, जदुर, डोमकच, फगुआ और सोहर जैसे पारंपरिक गीत।
3. उन्हें कौन-कौन से पुरस्कार मिले?
राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मान और पुरस्कार।
4. उनका समाज में क्या योगदान है?
वे लोकगीतों के माध्यम से सामाजिक जागरूकता और संस्कृति संरक्षण का काम करते हैं।
5. वे युवाओं के लिए प्रेरणा क्यों हैं?
उन्होंने अपनी मेहनत और लोकसंस्कृति के प्रति प्रेम से नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़े रखा।





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