भारतीय लोक संगीत देश की Folk Music सांस्कृतिक आत्मा को दर्शाने वाला पारंपरिक संगीत रूप है, जो विभिन्न राज्यों, भाषाओं, जनजातियों और समुदायों की विविधता को अभिव्यक्त करता है। Folk Music यह संगीत जीवन के हर पहलू – जैसे जन्म, विवाह, त्योहार, खेती, युद्ध, भक्ति और शोक – से गहराई से जुड़ा होता है।
हर राज्य की अपनी अनूठी लोकधुनें और वाद्ययंत्र होते हैं। जैसे राजस्थान के लंगा-मांगनियार गीत, पंजाब के भांगड़ा और गिद्धा, उत्तर प्रदेश का बिरहा और कजरी, महाराष्ट्र की लावणी, बंगाल का बावुल, और उत्तर-पूर्वी भारत के आदिवासी लोक गीत – ये सभी क्षेत्रीय संस्कृति की गहराई को उजागर करते हैं।
लोक संगीत पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक परंपरा के माध्यम से चला आ रहा है। इसमें आमतौर पर स्थानीय बोली, सहज लय और प्राकृतिक भावनाएँ होती हैं। यह न सिर्फ मनोरंजन का साधन है, बल्कि सामाजिक शिक्षा, ऐतिहासिक घटनाओं और लोक कथाओं का जीवंत दस्तावेज भी है।
1. Folk Music लोक संगीत क्या है?
भारतीय लोक संगीत जनसामान्य की आवाज़ है जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी मौखिक रूप से सुरक्षित रहा है। यह शास्त्रीय संगीत से भिन्न है क्योंकि:

- सहजता: कोई कठोर नियम नहीं
- सामूहिक रचना: समुदाय द्वारा विकसित
- प्रकृति से जुड़ाव: ऋतुओं, फसलों, त्योहारों पर आधारित
- राज्यवार विविधता:
- राजस्थान: मांड, पपड़ी, लंगा-मांगनियार संगीत
- पंजाब: भांगड़ा, गिद्धा गीत
- उत्तर प्रदेश: आल्हा, बिरहा, कजरी
- बिहार: भोजपुरिया लोकगीत, सोहर
- पश्चिम बंगाल: बावुल, भटियाली
- महाराष्ट्र: लावणी, भारुड
- कर्नाटक: जनपद गीत
- आंध्र प्रदेश: बुर्राकथा, ओजपल्ली
- उत्तर पूर्व: आदिवासी गीत, झूम नृत्य संगीत
- इतिहास:
- हजारों वर्षों से मौखिक परंपरा द्वारा संरक्षित
- कृषि, प्रेम, वीरता, भक्ति और सामाजिक मुद्दों पर आधारित गीत
- स्थानीय वाद्ययंत्रों (ढोल, इकतारा, बीन) का उपयोग
- सांस्कृतिक महत्व:
- त्योहारों, शादियों और जनजीवन से जुड़ा
- सामाजिक एकता और क्षेत्रीय पहचान का प्रतीक
- लोकनाट्य, नृत्य और परंपराओं का अभिन्न हिस्सा
2. Folk Music भारत के प्रमुख लोक संगीत
उत्तर भारत
शैली | क्षेत्र | विशेषता | प्रसिद्ध कलाकार |
---|---|---|---|
भांगड़ा | पंजाब | ढोल की थाप पर नृत्य | कुलदीप मानक |
राजस्थानी मांड | राजस्थान | कामड़ वाद्य | मामे खाँ |
कजरी | उत्तर प्रदेश | बारिश के गीत | गिरिजा देवी |
पूर्वी भारत
| बाउल | बंगाल | सूफी प्रभाव | लालन फकीर
| झूमुर | झारखंड | आदिवासी लय | मुकुंद नायक
दक्षिण भारत
| विल्लुप्पट्टु | तमिलनाडु | वीरगाथा गायन | पुल्लईकरन
| लावणी | महाराष्ट्र | तमाशा नृत्य | सुलोचना चव्हाण
पश्चिम भारत
| दंडिया | गुजरात | नवरात्रि नृत्य | प्रह्लाद तिपाणिया
| कोली | गोवा | मछुआरों के गीत | लता मंगेशकर
3. Folk Music लोक संगीत के वाद्ययंत्र
- ढोल: पंजाबी भांगड़ा
- रावणहत्था: राजस्थानी भपंग
- गुंजी: छत्तीसगढ़ी गीत
- तुडुम्बा: हिमाचली संगीत
4. लोक संगीत का सामाजिक महत्व
- सामुदायिक एकता: सभी उम्र के लोग भाग लेते हैं
- सामाजिक संदेश: बाल विवाह, स्त्री शिक्षा जैसे विषय
- पर्यावरण जागरूकता: वृक्ष, नदियों के संरक्षण के गीत
5. आधुनिक समय में लोक संगीत
- फ्यूजन संगीत: रागिनी मिश्र (भोजपुरी + इलेक्ट्रॉनिक)
- फिल्मी प्रभाव: “केसरिया बालम” (दोस्ताना)
- यूट्यूब क्रांति: लोक कलाकारों को वैश्विक मंच
” Folk Music लोक संगीत वह दर्पण है जिसमें समाज का असली चेहरा दिखता है।”
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बाउल संगीत को यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत घोषित किया गया है!
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