हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत भारत की दो प्रमुख शास्त्रीय संगीत परंपराओं में से एक है, जो उत्तर भारत, मध्य भारत और कुछ पश्चिमी क्षेत्रों में विकसित हुई है। Hindustani यह परंपरा वैदिक काल से लेकर मुगल काल और आधुनिक युग तक अनेक चरणों से गुज़री है।
🌿 इतिहास और विकास:
यह संगीत रचनात्मकता, भावना और राग की गहराई पर आधारित है।
इसका मूल प्राचीन सामवेद और भारतीय नाट्यशास्त्र में है।
मध्यकाल में सूफी प्रभाव और मुगल दरबारों के संरक्षण से इसमें ध्रुपद, ख्याल, ठुमरी जैसे रूपों का विकास हुआ।
मुख्य विशेषताएँ:
- विविधता: 400+ रागों की समृद्ध परंपरा
- लचीलापन: घरानों के अनुसार गायन/वादन शैली
- आध्यात्मिकता: नाद ब्रह्म की अवधारणा से जुड़ाव

2. ऐतिहासिक विकास
प्राचीन काल
- वेदों में संगीत का उल्लेख (सामवेद)
- नाट्यशास्त्र (भरत मुनि) में संगीत के सिद्धांत
मध्यकाल
- अमीर खुसरो द्वारा सुधार (13वीं शताब्दी)
- तानसेन (अकबर के दरबार में)
आधुनिक काल
- घराना प्रणाली का विकास
- विश्वविद्यालयों में शिक्षा
3. Hindustani मूलभूत अवधारणाएँ
सप्तक (Octave)
- मन्द्र (निम्न)
- मध्य (मध्यम)
- तार (उच्च)
स्वर (7+5)
- शुद्ध: सा रे ग म प ध नि
- विकृत: कोमल/तीव्र
लय (Tempo)
- विलम्बित (धीमी)
- मध्य (मध्यम)
- द्रुत (तेज)
ताल (Rhythm Cycles)
- तीनताल (16 मात्रा)
- झपताल (10 मात्रा)
- रूपक (7 मात्रा)
4. Hindustani प्रमुख घराने
घराना | विशेषता | प्रसिद्ध कलाकार |
---|---|---|
किराना | मीठी आवाज़ | भीमसेन जोशी, गंगूबाई हंगल |
ग्वालियर | स्पष्ट उच्चारण | कुमार गंधर्व, मालिनी राजुरकर |
जयपुर-अतरौली | तानों की जटिलता | केसरबाई केरकर, किशोरी अमोनकर |
आगरा | ध्रुपद प्रभाव | उस्ताद फैयाज खाँ |
पटियाला | गमक और मुर्की | बड़े गुलाम अली खाँ |
5. राग-रंग
प्रसिद्ध राग एवं समय
- भैरवी (प्रातः)
- यमन (सायं)
- मालकौंस (रात्रि)
राग दरबारी
- दरबारी कान्हड़ा: राजसी भव्यता
- मियाँ की मल्हार: वर्षा राग
6. वाद्य यंत्र
तत् (तार वाद्य)
- सितार (उस्ताद विलायत खाँ)
- सरोद (उस्ताद अमजद अली खाँ)
सुषिर (वायु वाद्य)
- बाँसुरी (पंडित हरिप्रसाद चौरसिया)
- शहनाई (उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ)
अवनद्ध (ताल वाद्य)
- तबला (ज़ाकिर हुसैन)
- पखावज (पंडित मोहन श्याम शर्मा)
7. Hindustani गायन शैलियाँ
ख़याल
- आलाप: राग विस्तार
- बोलतान: लयकारी
ध्रुपद
- नोम-टोम अलाप
- पखावज संगत
ठुमरी
- भाव प्रधान
- बोल बाँट
8. Hindustani प्रसिद्ध कलाकार
गायक
- पंडित भीमसेन जोशी (किराना)
- उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ (पटियाला)
वादक
- पंडित रविशंकर (सितार)
- उस्ताद अमजद अली खाँ (सरोद)
9. आधुनिक परिदृश्य
- फ्यूजन संगीत का प्रभाव
- यूट्यूब पर शिक्षण
- संगीत थेरेपी में उपयोग
10. निष्कर्ष
हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत नाद और भाव का सागर है। यह न सिर्फ कानों बल्कि आत्मा को भी स्पर्श करता है।
“संगीत वह भाषा है जिसे समझने के लिए कान नहीं, हृदय चाहिए।”
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क्या आप जानते हैं?
हिंदुस्तानी और कर्नाटक संगीत में मुख्य अंतर “मूर्छना” (मेलकर्ता राग) प्रणाली है।
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