“भारतीय वाद्य यंत्रों का विश्वकोश” एक ऐसा सांस्कृतिक संग्रह है जो Indian Musical Instruments भारत की विविध, प्राचीन और समृद्ध संगीत परंपरा में प्रयुक्त वाद्य यंत्रों की जानकारी को क्रमबद्ध और गहराई से प्रस्तुत करता है। यह विश्वकोश संगीत प्रेमियों, शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों और सांस्कृतिक जिज्ञासुओं के लिए एक अनमोल धरोहर है।
🥁 प्रमुख श्रेणियाँ (Categories of Indian Instruments):

- तंत्री वाद्य (String Instruments)
जैसे – सारंगी, वीणा, सितार, सरोद, तानपूरा, रुद्रवीणा- ध्वनि उत्पन्न होती है तारों को बजाने से
- रागों की अभिव्यक्ति में प्रमुख भूमिका
- वाद्य वाद्य (Percussion Instruments)
जैसे – तबला, मृदंगम, ढोलक, पखावज, चेंडा- लय, ताल और रिदम के लिए
- शास्त्रीय और लोक संगीत दोनों में प्रयुक्त
- सुषिर वाद्य (Wind Instruments)
जैसे – बाँसुरी, शहनाई, नादस्वरम्, हॉर्न, तुरही- फूँक के माध्यम से ध्वनि निकलती है
- आध्यात्मिक और शाही वातावरण के लिए
- घर्षण वाद्य (Friction Instruments)
जैसे – एकतारा, रवानहत्ता- घर्षण से उत्पन्न होती है ध्वनि
- आदिवासी और लोक परंपरा में विशेष
1. तत् वाद्य (तार वाद्य)
सितार
- उत्पत्ति: 13वीं शताब्दी (अमीर खुसरो द्वारा विकसित)
- विशेषता: 18-21 तार, गोर्द (तार को झनकारने वाला)
- विख्यात कलाकार: पंडित रविशंकर, उस्ताद विलायत खाँ
सरोद
- उत्पत्ति: अफगानिस्तान (भारत में 16वीं शताब्दी)
- विशेषता: धातु की फिंगरबोर्ड, कोई फ्रेट नहीं
- विख्यात कलाकार: उस्ताद अमजद अली खाँ
वीणा
- प्रकार: रुद्र वीणा (हिंदुस्तानी), सरस्वती वीणा (कर्नाटक)
- विशेषता: दो लौकी के अनुनादक
2. सुषिर वाद्य (वायु वाद्य)
बाँसुरी
- प्रकार: बंसी (कृष्ण), कर्णाटक बाँसुरी
- विख्यात कलाकार: पं. हरिप्रसाद चौरसिया
शहनाई
- उत्पत्ति: मध्यकालीन भारत
- विशेषता: डबल रीड
- विख्यात कलाकार: उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ
नागस्वरम
- क्षेत्र: तमिलनाडु
- विशेषता: भारत का सबसे ऊँचा स्वर वाला वाद्य
3. अवनद्ध वाद्य (ताल वाद्य)
तबला
- संगत: ॠतु (दायाँ), दुग्गी (बायाँ)
- घराने: दिल्ली, पंजाब, बनारस
- विख्यात कलाकार: उस्ताद जाकिर हुसैन
मृदंगम
- क्षेत्र: दक्षिण भारत
- विशेषता: एक तरफ बकरी की खाल, दूसरी तरफ गाय की खाल
ढोल
- प्रकार: ढोलक (लोक), पखावज (शास्त्रीय)
4. घन वाद्य (स्वयंवादी)
संतूर
- उत्पत्ति: कश्मीर
- विशेषता: 100 तार, दो लकड़ी के हथौड़ों से बजाया जाता है
जलतरंग
- विशेषता: पानी से भरे कटोरों पर बजाया जाता है
करताल
- उपयोग: कीर्तन/भजन
5. Indian Musical Instruments भारत के प्रादेशिक वाद्य
वाद्य | राज्य | विशेषता |
---|---|---|
रावणहत्था | राजस्थान | फिदल जैसा |
गुंजी | छत्तीसगढ़ | बाँस से बना |
तुडुम्बा | हिमाचल | ड्रम प्रकार |
6. आधुनिक भारतीय वाद्य
- इलेक्ट्रिक सितार (राहुल शर्मा)
- ड्रम मशीन (फिल्म संगीत)
- ई-तबला
“वाद्य वह सेतु है जो मनुष्य को दिव्य से जोड़ता है।”
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वीणा को “देवी सरस्वती का वाद्य” माना जाता है और यह ज्ञान का प्रतीक है!
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