कर्नाटक संगीत Carnatic Music दक्षिण भारत की 2000+ वर्ष पुरानी शास्त्रीय संगीत परंपरा है जो राग, ताल और भक्ति पर केंद्रित है। यह हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत से अलग अधिक संरचित और गणितीय शैली है।
मुख्य विशेषताएँ:
- 72 मेलकर्ता राग प्रणाली
- कृति और कल्पना स्वरम जैसी विशिष्ट रचनाएँ
- भक्ति भावना प्रमुख (विशेषकर तमिल तेवरम और दिव्य प्रबंधम)

2. ऐतिहासिक विकास
प्राचीन काल
- सिलप्पदिकारम (तमिल महाकाव्य) में संगीत का उल्लेख
- संगम युग (300 BCE–300 CE) में संगीत का प्रारंभिक स्वरूप
मध्यकाल
- पुरंदर दास (1484–1564) को “कर्नाटक संगीत का पितामह” माना जाता है
- त्रिमूर्ति (त्यागराज, मुत्तुस्वामी दीक्षितर, श्यामा शास्त्री) द्वारा 18वीं शताब्दी में सुधार
आधुनिक काल
- अरियाकुडी रामानुज अयंगर द्वारा आधुनिक प्रदर्शन शैली
- एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी जैसी कलाकारों द्वारा वैश्विक प्रसिद्धि
3. Carnatic Music मूलभूत अवधारणाएँ
स्वर (7+5)
- शुद्ध स्वर: स रि ग म प द नि
- विकृत स्वर: चतुश्रुति ऋषभ, षड्जम आदि
राग प्रणाली
- 72 मेलकर्ता राग (वेंकटमखी द्वारा वर्गीकृत)
- जन्य राग (उदाहरण: मोहनम, शंकराभरणम)
ताल प्रणाली
- सप्त ताल: ध्रुव, मत्त्य, रूपक, झंप, त्रिपुट, अट, एक
- छोटे ताल: अदि (8 मात्रा), मिश्र चापु (7 मात्रा)
4. प्रमुख संगीत रूप
रूप | विशेषता | उदाहरण |
---|---|---|
वर्णम | तकनीकी अभ्यास | “निन्नु कोरी” |
कृति | मुख्य रचना | “समायन्नी” (श्यामा शास्त्री) |
कीर्तनम | भक्ति गीत | “भज गोविंदम” |
रागम-तानम-पल्लवी | उन्नत शैली | – |
तिल्लाना | ताल प्रदर्शन | – |
5. Carnatic Music प्रमुख वाद्य यंत्र
तत् वाद्य
- वीणा (स्वामी विश्वनाथन)
- गॉटुवाद्यम (बहुतारा वीणा)
सुषिर वाद्य
- नादस्वरम (तेवनकोट्टई शिवलिंगम)
- बाँसुरी (एम.एस. गोपालकृष्णन)
ताल वाद्य
- मृदंगम (उमयालपुरम कल्याणरमण)
- घटम (विक्कु विनायकराम)
6. Carnatic Music प्रसिद्ध संगीतज्ञ
गायक
- एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी (भक्ति संगीत)
- सेम्मंगुडी श्रीनिवास अय्यर (किराना प्रभाव)
वादक
- डॉ. एम. बालमुरलीकृष्ण (गायन एवं वीणा)
- उस्ताद जाकिर हुसैन (तबला-कर्नाटक फ्यूजन)
7. हिंदुस्तानी vs कर्नाटक
पहलू | हिंदुस्तानी | कर्नाटक |
---|---|---|
राग प्रणाली | थाट आधारित | मेलकर्ता आधारित |
ताल | तीनताल, झपताल | अदि, रूपक |
प्रदर्शन शैली | आलाप, तान | कल्पना स्वरम, नेरावल |
भाषा | हिंदी/उर्दू | तमिल/तेलुगु/संस्कृत |
8. आधुनिक प्रभाव
- फ्यूजन संगीत (ए.आर. रहमान)
- सिनेमा में उपयोग (इलैयाराजा)
- यूट्यूब/ऑनलाइन लर्निंग
9. निष्कर्ष
कर्नाटक संगीत गणित, भक्ति और कला का अद्भुत संगम है। यह न सिर्फ कर्णप्रिय है बल्कि मन को शांत भी करता है।
“संगीतमय है दक्षिण का हर पग, कर्नाटक संगीत है अनुपम राग।”
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