वारली चित्रकला भारत की एक प्राचीन आदिवासी लोककला है, Warli painting जो महाराष्ट्र के ठाणे जिले के वारली जनजाति द्वारा रची गई है। यह चित्रकला सादगी, प्रकृति और जीवन के चक्र को बेहद सुंदर ढंग से दर्शाती है। इसकी विशेषता है – ज्यामितीय आकृतियाँ, प्राकृतिक रंगऔरगहरे सांस्कृतिक अर्थ।
🕰️ अध्याय 1: इतिहास और उत्पत्ति
कालखंड
विवरण
लगभग 2500 BCE
पूर्व-ऐतिहासिक गुफा चित्रों से प्रेरणा
आदिवासी समाज
वारली जनजाति द्वारा विकसित
20वीं शताब्दी
कलाकार जिव्या सोम माशे द्वारा लोकप्रियता
वर्तमान
आधुनिक कला में स्वीकार्यता, अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियाँ
गेरुए रंग की पृष्ठभूमि (मिट्टी, गोबर से तैयार दीवार)
आकृतियाँ – त्रिकोण, वृत्त, वर्ग
विषय – प्रकृति, मानव जीवन, त्योहार, कृषि, नृत्य
🖼️ अध्याय 3: प्रमुख विषयवस्तु
विषय
विवरण
विवाह समारोह
“लघु देव” चित्रण
तारे, चाँद, सूरज
प्रकृति के तत्व
नृत्य – तरपा
संगीत, सामूहिक जीवन
खेत, पेड़, पशु
जीवन की आत्मनिर्भरता
देवी-देवता
ग्राम देवता, काली, पालघाट
Warli painting image
🧵 अध्याय 4: निर्माण प्रक्रिया
1: सतह की तैयारी
दीवार को गोबर और मिट्टी से लीपना
2: रंगों की तैयारी
चावल का पाउडर + पानी = सफेद रंग
3: ब्रश
बांस की टहनी या छोटे कपड़े का टुकड़ा
चरण 4: चित्रांकन
केंद्र में मुख्य आकृति
चारों ओर गतिविधियाँ – नृत्य, पशु, खेत, पेड़
👩🎨 अध्याय 5: प्रमुख कलाकार और योगदान
नाम
योगदान
जिव्या सोम माशे
वारली चित्रकला को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई
बा माशे, शांताराम तडवी
परंपरा को संरक्षित रखा
वारली महिला समूह
चित्रकला से स्वरोजगार की दिशा
📍 अध्याय 6: वारली जनजाति और जीवनशैली
स्थान: ठाणे, डहाणू, पालघर, नासिक
भाषा: वारली, मराठी
संस्कृति: कृषि, पशुपालन, त्योहारों में चित्रण
विश्वास: प्रकृति पूजा, “नरिवांग देवी” की आराधना
🛐 अध्याय 7: धार्मिक और सामाजिक संदर्भ
विवाह के समय – कोहबर और लघु देव चित्र
देव पूजा – ताजिया, देवी, वृक्ष-पूजा
सामूहिकता – नृत्य में सभी स्त्री-पुरुष सम्मिलित
🧶 अध्याय 8: आधुनिक प्रयोग
क्षेत्र
प्रयोग
सजावट
पेंटिंग, वॉल डेकोर
कपड़े
टी-शर्ट, साड़ी, दुपट्टा
स्टेशनरी
डायरी, ग्रीटिंग कार्ड
डिजिटल
वेबसाइट डिज़ाइन, NFT, ऐप ग्राफिक्स
🛡️ अध्याय 9: संरक्षण और GI टैग
GI टैग: 2011 में प्राप्त
सरकारी प्रयास: ODOP योजना, कला मेलों में प्रदर्शन
प्रशिक्षण केंद्र: कला ग्राम, नवी मुंबई, जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स
🧠 अध्याय 10: वारली चित्रकला और महिला सशक्तिकरण
महिलाएं पारंपरिक रूप से दीवारों पर चित्र बनाती थीं
अब ये कला स्वरोजगार का माध्यम बन रही है
स्वयं सहायता समूह (SHGs) द्वारा प्रदर्शनियाँ, ई-मार्केटिंग
🔍 अध्याय 11: असली और नकली की पहचान
विशेषता
असली वारली
नकली
रंग
चावल से बना सफेद रंग
प्रिंटेड या ऐक्रेलिक
आकृति
त्रिकोणीय मानव आकृति
असमान शैली
पृष्ठभूमि
गेरू, मिट्टी की दीवार
कैनवस, कागज
भावना
सांस्कृतिक
केवल सजावटी
💼 अध्याय 12: रोजगार और विपणन
हस्तशिल्प मेलों में बिक्री
Amazon, IndiaMart जैसी वेबसाइटों पर उपलब्ध
वर्कशॉप और ट्रेनिंग द्वारा स्थानीय युवाओं को लाभ
🏁 निष्कर्ष
वारली चित्रकला भारतीय आदिवासी जीवन की सरलता, सामूहिकता और प्रकृति के प्रति श्रद्धा को दर्शाती है। यह केवल चित्र नहीं, बल्कि एक जीवंत परंपरा है। इसे संरक्षित करना, प्रोत्साहित करना और आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना हम सभी की जिम्मेदारी है।
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