भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संवैधानिक अधिकार है, वहीं कई बार मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को अपने ही देश में संघर्षों का सामना करना पड़ता है। Dr Binayak Sen एक ऐसा ही नाम हैं, जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी गरीबों, आदिवासियों और वंचितों के हक में लगा दी। वे एक डॉक्टर ही नहीं, बल्कि एक इंसानियत के सच्चे सिपाही भी हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
- जन्म: 4 जनवरी 1950, बिहार (अब झारखंड) के तिलैया में
- शिक्षा:
- मेडिकल की पढ़ाई – क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर से
- बाद में कोलकाता और छत्तीसगढ़ में मेडिकल सेवा
डॉ. सेन शुरू से ही समाजसेवा की ओर झुके हुए थे। मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने बड़े अस्पतालों में नौकरी करने की बजाय ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में काम करना चुना।
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL)
Dr Binayak Sen PUCL के सक्रिय सदस्य बने। यह संगठन नागरिक स्वतंत्रता और मानव अधिकारों के लिए काम करता है।

PUCL के माध्यम से कार्य:
- छत्तीसगढ़ में आदिवासियों पर पुलिस और नक्सलियों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों की रिपोर्टिंग
- फर्जी मुठभेड़ों का खुलासा
- सलवा जुडूम जैसे अभियान की आलोचना
छत्तीसगढ़ में कार्य और चुनौतियाँ
डॉ. सेन ने बिलासपुर, रायपुर और बस्तर जैसे क्षेत्रों में सेवा दी। उन्होंने पाया कि इन क्षेत्रों में आदिवासियों को उचित स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल रही थीं।
उनके कार्यों में शामिल:
- मुफ्त चिकित्सा शिविर
- स्वास्थ्य शिक्षा
- टीबी और कुपोषण पर ध्यान
- मजदूरों और आदिवासियों के अधिकारों के लिए जनजागरण
गिरफ्तारी और विवाद
2007 में डॉ. सेन को राज्य विरोधी गतिविधियों के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया।
मुख्य आरोप:
- उन्होंने नक्सली नेता नारायण सान्याल के लिए संदेशवाहक का काम किया
- जेल में उनसे कई बार मुलाकात की
- छत्तीसगढ़ सरकार ने उन पर देशद्रोह और UAPA जैसे गंभीर कानूनों के तहत केस दर्ज किया
गिरफ्तारी के बाद की स्थिति:
- उन्हें 2 साल से ज्यादा समय तक जेल में रखा गया
- इस गिरफ्तारी का देश और विदेश में भारी विरोध हुआ
- नोम चॉम्स्की, अमर्त्य सेन, मेधा पाटकर, अरुंधति रॉय जैसे लोगों ने उनके समर्थन में आवाज़ उठाई
- 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया
अंतरराष्ट्रीय समर्थन और पुरस्कार
उन्हें प्राप्त सम्मान:
- Jonathan Mann Award (2008) – मानवाधिकार के क्षेत्र में
- Gwangju Prize for Human Rights (2011) – दक्षिण कोरिया की संस्था द्वारा
- नैतिक साहस के लिए विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्रशंसा
क्यों ये पुरस्कार महत्वपूर्ण हैं?
इन पुरस्कारों से यह स्पष्ट होता है कि डॉ. बिनायक सेन का कार्य केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में सराहा गया।
Dr Binayak Sen की सोच
डॉ. सेन हमेशा यह मानते हैं कि:
“स्वास्थ्य और इंसाफ, दोनों एक-दूसरे से जुड़े हैं। अगर समाज में इंसाफ नहीं होगा, तो स्वास्थ्य भी नहीं हो सकता।”
उनका मानना है कि अगर गरीबों को न्याय नहीं मिला, तो वे कभी भी स्वस्थ जीवन नहीं जी सकते।
डॉ. सेन और पब्लिक हेल्थ
वे केवल नक्सलवाद या मानवाधिकार की बात नहीं करते थे, बल्कि उन्होंने पब्लिक हेल्थ सिस्टम को भी सुधारने की दिशा में कार्य किया।
उनके योगदान:
- गांवों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित करने की वकालत
- बच्चों और महिलाओं में कुपोषण की समस्या पर जागरूकता
- सस्ती दवा, टीकाकरण, पोषण जैसे मुद्दों पर गंभीर अभियान
आलोचनाएं और सरकार की भूमिका
कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि डॉ. सेन का झुकाव वामपंथ की ओर है और वे नक्सल समर्थक हैं।
लेकिन क्या सच है?
- कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिले कि उन्होंने किसी हिंसक गतिविधि में भाग लिया हो
- उनका सारा कार्य गैर-हिंसक और संवैधानिक दायरे में रहा
उनका वर्तमान जीवन
रिहाई के बाद भी वे मानवाधिकार और जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में सक्रिय हैं।
- PUCL के साथ काम जारी
- सामाजिक न्याय और चिकित्सा प्रणाली में सुधार की मांग
- युवाओं को सामाजिक कार्यों के लिए प्रेरित करना
प्रेरणा स्रोत क्यों हैं?
डॉ. बिनायक सेन एक उदाहरण हैं कि कैसे एक डॉक्टर, एक बुद्धिजीवी और एक आम इंसान भी समाज में बड़ा परिवर्तन ला सकता है।
उनकी प्रेरणा से हम क्या सीख सकते हैं?
- सत्य और न्याय के लिए खड़े रहना जरूरी है
- वंचितों के लिए आवाज़ उठाना कायरता नहीं, साहस है
- डर के बावजूद सेवा करना ही असली देशभक्ति है
निष्कर्ष
डॉ. बिनायक सेन की कहानी हमें यह सिखाती है कि इंसान केवल डॉक्टर या वकील बनकर नहीं, बल्कि सच्चा इंसान बनकर समाज को बदल सकता है। उन्होंने न केवल चिकित्सा दी, बल्कि न्याय, अधिकार और उम्मीद भी दी।
वह आज भी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा हैं, जो अपने देश और समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न):
प्रश्न: डॉ. बिनायक सेन कौन हैं?
उत्तर: वे एक चिकित्सक और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं जो छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के अधिकारों और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए कार्य करते हैं।
प्रश्न: उन्हें गिरफ्तार क्यों किया गया था?
उत्तर: उन पर माओवादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा, लेकिन कोर्ट ने सबूतों के अभाव में उन्हें जमानत दी।
प्रश्न: उन्होंने कौन-कौन से क्षेत्र में काम किया?
उत्तर: उन्होंने जन स्वास्थ्य, मानवाधिकार, ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा, कुपोषण, और आदिवासी कल्याण के क्षेत्र में कार्य किया।
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