Lalu Prasad Yadav Biography – एक करिश्माई नेता की कहानी

भारतीय राजनीति में कई ऐसे नेता हुए हैं जिन्होंने आम जनमानस पर गहरी छाप छोड़ी है। Lalu Prasad Yadav उन नेताओं में से एक हैं जिनकी राजनीतिक शैली, भाषण देने का तरीका, आम जनता से जुड़ाव, और मजाकिया अंदाज़ उन्हें भीड़ से अलग बनाते हैं। एक किसान परिवार से उठकर राष्ट्रीय राजनीति में अपनी जगह बनाना आसान नहीं था, लेकिन लालू यादव ने इसे कर दिखाया।


प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा

Lalu Prasad Yadav का जन्म 11 जून 1948 को बिहार के गोपालगंज जिले के फुलवरिया गाँव में एक यादव परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम केशव प्रसाद यादव और माता का नाम मराची देवी था। लालू जी ने पटना विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक और फिर एल.एल.बी. की डिग्री प्राप्त की।

छात्र राजनीति से शुरुआत

उनका राजनीतिक जीवन छात्र आंदोलन से शुरू हुआ। वह पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए थे, जहाँ से उनके राजनीतिक करियर की नींव पड़ी।


राजनीतिक करियर की शुरुआत

जेपी आंदोलन

लालू यादव का राजनीतिक जीवन 1970 के दशक के जयप्रकाश नारायण आंदोलन से गति पकड़ता है। वह इस आंदोलन में अग्रणी भूमिका में थे और यहीं से उन्होंने जनता दल जैसे दलों में सक्रियता बढ़ाई।

संसद में प्रवेश

1977 में वे मात्र 29 वर्ष की उम्र में छपरा लोकसभा सीट से सांसद बने। यह उनकी पहली बड़ी राजनीतिक सफलता थी।


मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल

लालू यादव 1990 से 1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने सामाजिक न्याय को केंद्र में रखते हुए पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा में लाने की कोशिश की। उन्होंने “मंडल आयोग” की सिफारिशों को सक्रिय रूप से समर्थन दिया।

प्रमुख उपलब्धियां:

  • रेलवे स्टेशन पर दलितों को चाय की दुकान देने की योजना।
  • पंचायतों में महिला आरक्षण का समर्थन।
  • मुसलमानों और पिछड़े वर्गों के बीच मजबूत समर्थन हासिल किया।

भारतीय रेल में योगदान

जब वे 2004 में रेल मंत्री बने, तब भारतीय रेल घाटे में थी। लेकिन लालू यादव के नेतृत्व में रेल मंत्रालय ने मुनाफ़ा कमाया, जो कि हार्वर्ड और आईआईएम जैसे संस्थानों में एक केस स्टडी बना।

रेलवे में उनके सुधार:

  • बिना किराया बढ़ाए मुनाफा बढ़ाया।
  • मालगाड़ी ट्रैफिक में सुधार।
  • “कुल्हड़” जैसी पारंपरिक चीजों को फिर से प्रचलन में लाया।

चारा घोटाला और विवाद

लालू यादव का नाम सबसे अधिक चर्चा में तब आया जब चारा घोटाले में उनका नाम सामने आया। इस घोटाले ने उनके राजनीतिक करियर को प्रभावित किया और उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। इसके बावजूद उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया।

न्यायिक स्थिति:

  • लालू यादव को कई मामलों में दोषी ठहराया गया।
  • उन्होंने कई साल जेल में बिताए और फिर जमानत पर रिहा हुए।

राजनीतिक शैली और लोकप्रियता

लालू यादव की राजनीति जनता से जुड़ाव, हास्य-व्यंग्य, और लोकप्रिय भाषण शैली के लिए जानी जाती है। उनके भाषण आम आदमी की भाषा में होते हैं, जिससे वह तुरंत जनता से जुड़ जाते हैं।


पारिवारिक जीवन

उनकी पत्नी राबड़ी देवी बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। उनके 9 बच्चे हैं, जिनमें तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव प्रमुख हैं। तेजस्वी यादव फिलहाल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं।


आरजेडी (RJD) का गठन

1997 में लालू यादव ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की स्थापना की। यह दल बिहार की राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाता रहा है। यह दल विशेष रूप से यादव, मुस्लिम और अन्य पिछड़े वर्गों का समर्थन प्राप्त करता है।

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आलोचना और समर्थन

आलोचना:

  • बिहार में “जंगलराज” का आरोप।
  • भ्रष्टाचार के गंभीर मामले।
  • विकास की धीमी गति।

समर्थन:

  • सामाजिक न्याय का मजबूत पक्षधर।
  • पिछड़े वर्गों की आवाज़।
  • जनता से सहज जुड़ाव।

Lalu Prasad Yadav के प्रसिद्ध उद्धरण

  1. “रेल मंत्रालय चलाना गाय पालने जैसा है।”
  2. “जो बोलेगा वो करेगा नहीं, जो करेगा वो बोलेगा नहीं।”
  3. “हम तो गांव वाले हैं, शहर में रह कर भी गांव की बात करते हैं।”

मीडिया और लोकप्रियता

लालू यादव पर कई फिल्में, वेब सीरीज और डॉक्यूमेंट्रीज़ बन चुकी हैं। उनकी राजनीतिक शैली और व्यक्तिगत अंदाज़ भारतीय राजनीति में एक अनोखा अध्याय बन चुके हैं।


निष्कर्ष

Lalu Prasad Yadav केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि एक आंदोलन, एक पहचान, और एक शैली हैं। Lalu Prasad Yadav उनके जीवन में जहां संघर्ष, विवाद और आलोचनाएं रही हैं, वहीं एक नेता के रूप में उनका जनप्रिय स्वरूप और सामाजिक न्याय की राजनीति उन्हें आज भी प्रासंगिक बनाती है।


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