Mahendra Nath Sardar संताली भाषा और साहित्य के एक प्रसिद्ध कवि, लेखक और सांस्कृतिक हस्ती थे। उन्होंने संताली साहित्य को एक नई दिशा दी और आदिवासी समाज की संस्कृति, संघर्ष और जीवन को अपनी कविताओं में अभिव्यक्त किया। उनका लेखन संताली भाषा के उत्थान और संरक्षण में अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। वे न केवल कवि थे बल्कि सामाजिक जागरूकता फैलाने वाले सांस्कृतिक कार्यकर्ता भी थे।
प्रारंभिक जीवन
Mahendra Nath Sardar का जन्म 20वीं सदी के मध्य में झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र में हुआ। वे एक साधारण किसान परिवार से थे। बचपन से ही उन्हें संताली भाषा और लोककथाओं में रुचि थी।
शिक्षा
उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा गांव में प्राप्त की और बाद में उच्च शिक्षा के लिए रांची और कोलकाता का रुख किया। छात्र जीवन में ही वे संताली साहित्य और संस्कृति से गहराई से जुड़ गए।
साहित्यिक करियर की शुरुआत
Mahendra Nath Sardar ने अपनी पहली कविता किशोरावस्था में लिखी। उनकी कविताओं में आदिवासी जीवन की सादगी, संघर्ष और प्रकृति के प्रति प्रेम झलकता है।
साहित्यिक विशेषताएं
- सरल और सहज भाषा का प्रयोग।
- प्रकृति, संस्कृति और संघर्ष का चित्रण।
- सामाजिक चेतना और आदिवासी अस्मिता की अभिव्यक्ति।

प्रमुख रचनाएं
महेंद्र नाथ सरदार ने संताली भाषा में कई कविताएं, गीत और कहानियां लिखीं। उनकी कुछ प्रमुख रचनाएं हैं:
- Arop Jorok (कविता संग्रह)
- Disom Sakam (गीत संग्रह)
- Hor Hopon (लोककथाओं का संग्रह)
साहित्यिक योगदान
महेंद्र नाथ सरदार की कविताएं संताली साहित्य में एक नई पहचान लेकर आईं। वे लोककथाओं, गीतों और आदिवासी संस्कृति को कविताओं में पिरोते थे।
योगदान के प्रमुख पहलू:
- संताली भाषा में आधुनिक कविताओं का विकास।
- आदिवासी युवाओं को अपनी संस्कृति और भाषा से जोड़ना।
- साहित्य के माध्यम से सामाजिक मुद्दों को उठाना।
सामाजिक और सांस्कृतिक भूमिका
महेंद्र नाथ सरदार केवल कवि ही नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक दूत भी थे। उन्होंने संताली साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए कई संगठनों से जुड़कर कार्य किया।
प्रमुख कार्य
- संताली साहित्य सम्मेलनों का आयोजन।
- संताली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए समर्थन।
- युवा कवियों को प्रेरित करने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन।
उपलब्धियां और सम्मान
- संताली साहित्य अकादमी पुरस्कार।
- झारखंड सरकार से सम्मान।
- राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक मंचों पर सहभागिता।
कविताओं की थीम
Mahendra Nath Sardar की कविताएं प्रकृति, प्रेम, समाज, संघर्ष और अस्मिता पर आधारित थीं। वे अपने लेखन से आदिवासी समाज में जागरूकता फैलाते थे।
विरासत
उनका साहित्य आज भी संताली भाषा के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने आदिवासी संस्कृति और संताली साहित्य को वैश्विक पहचान दिलाई।
उनकी विरासत में शामिल हैं:
- संताली भाषा में आधुनिक कविता की परंपरा।
- सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक न्याय के लिए साहित्य।
- युवाओं को अपनी भाषा और संस्कृति से जोड़ने का प्रयास।
FAQ
1. महेंद्र नाथ सरदार कौन थे?
वे संताली भाषा के प्रसिद्ध कवि और लेखक थे।
2. उनकी प्रमुख रचनाएं कौन सी हैं?
Arop Jorok, Disom Sakam, Hor Hopon।
3. उन्हें कौन से सम्मान मिले?
संताली साहित्य अकादमी पुरस्कार और झारखंड सरकार से कई सम्मान।
4. उनकी कविताओं की मुख्य थीम क्या थी?
प्रकृति, संस्कृति, आदिवासी संघर्ष और सामाजिक चेतना।
5. संताली साहित्य में उनका योगदान क्या है?
उन्होंने आधुनिक संताली कविता को नई दिशा दी और भाषा के संरक्षण में अहम भूमिका निभाई।





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