Nitish Kumar Biography – सुशासन बाबू की राजनीति यात्रा

Nitish Kumar भारतीय राजनीति के उन नेताओं में गिने जाते हैं जिन्होंने अपने लंबे राजनीतिक जीवन में “विकास”, “सुशासन” और “जन-हित” जैसे शब्दों को केंद्र में रखा। उन्हें “सुशासन बाबू” कहा जाता है और बिहार की राजनीति में उन्होंने एक स्थायी छवि बनाई है। उनका जीवन संघर्ष, ईमानदारी, प्रशासनिक कुशलता और राजनीतिक चतुराई से भरा हुआ है।


प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

Nitish Kumar का जन्म 1 मार्च 1951 को बिहार के नालंदा जिले के बख्तियारपुर में हुआ था। उनके पिता कबीराज रामलखन सिंह एक आयुर्वेदिक वैद्य थे और स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रिय रहे थे। उनकी माता का नाम परमेश्वरी देवी था।

नीतीश कुमार ने प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव में प्राप्त की और बाद में पटना इंजीनियरिंग कॉलेज (अब NIT Patna) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया। उन्होंने कुछ समय तक बिहार राज्य बिजली बोर्ड में नौकरी भी की, लेकिन उनका झुकाव राजनीति की ओर था।


राजनीतिक जीवन की शुरुआत

नीतीश कुमार का राजनीति में सक्रिय प्रवेश JP आंदोलन (1974) के दौरान हुआ, जो इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ छात्र और युवा आंदोलन था। इस आंदोलन में जयप्रकाश नारायण के साथ उन्होंने सक्रिय भागीदारी निभाई और यहीं से उनके राजनीतिक जीवन की नींव पड़ी।

वे 1977 में पहली बार बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए।


जनता दल से जदयू तक का सफर

नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक जीवन में कई दलों का हिस्सा रहे हैं:

  • 1980 और 1990 के दशक में उन्होंने लोकदल, फिर जनता दल और फिर समता पार्टी के माध्यम से राजनीति की।
  • उन्होंने 1994 में समता पार्टी की स्थापना की, जिसका उद्देश्य समाजवाद और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना था।
  • 2003 में जनता दल (यूनाइटेड) यानी JDU का गठन हुआ, जिसमें समता पार्टी का विलय कर दिया गया।

केंद्र सरकार में मंत्री पद

नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार में विभिन्न मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली:

वर्षमंत्रालय
1990कृषि राज्य मंत्री (वी.पी. सिंह सरकार)
1998रेल मंत्री (अटल बिहारी वाजपेयी सरकार)
1999फिर से रेल मंत्री
2001कृषि मंत्री
2001-2002सतर्कता और उड्डयन मंत्री

उनके कार्यकाल में रेलवे में कई सुधार और नई योजनाएं शुरू की गईं। जनता ने उन्हें एक सुलझे हुए प्रशासक के रूप में पहचाना।


बिहार के मुख्यमंत्री बनने का सफर

नीतीश कुमार पहली बार 2000 में कुछ ही दिनों के लिए बिहार के मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन बहुमत न होने के कारण इस्तीफा देना पड़ा। 2005 में, JDU और BJP गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिला और नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

कार्यकाल:

कार्यकालअवधि
पहला कार्यकाल24 नवंबर 2005 – 26 नवंबर 2010
दूसरा कार्यकाल26 नवंबर 2010 – 17 मई 2014
तीसरा कार्यकाल22 फरवरी 2015 – 20 नवंबर 2015
चौथा कार्यकाल20 नवंबर 2015 – 26 जुलाई 2017
पांचवां कार्यकाल27 जुलाई 2017 – 10 अगस्त 2022
छठा कार्यकाल10 अगस्त 2022 – वर्तमान

Nitish Kumar की प्रमुख नीतियाँ और उपलब्धियाँ

1. सड़क और आधारभूत ढांचे में सुधार

उन्होंने बिहार की जर्जर सड़कों की स्थिति सुधारने के लिए बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य शुरू कराया।

2. शिक्षा में क्रांति

  • साइकिल योजना: लड़कियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने हेतु साइकिल योजना चलाई गई।
  • ड्रेस योजना: छात्र-छात्राओं को निशुल्क ड्रेस दी जाने लगी।
  • विद्यालयों में नामांकन दर में भारी बढ़ोतरी हुई।

3. कानून व्यवस्था में सुधार

2005 से पहले बिहार को “जंगल राज” के नाम से जाना जाता था। नीतीश कुमार ने फास्ट ट्रैक कोर्ट, पुलिस आधुनिकीकरण और गुंडों की गिरफ्तारी जैसे कदम उठाकर कानून-व्यवस्था में सुधार किया।

4. महिलाओं को सशक्त बनाना

  • पंचायती राज संस्थाओं में 50% आरक्षण महिलाओं को दिया गया।
  • महिला स्व-सहायता समूहों को बढ़ावा दिया।

5. बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना

उच्च शिक्षा के लिए छात्रों को ऋण देने की योजना, जिससे हजारों युवाओं को फायदा मिला।


राजनीतिक समीकरणों के मास्टर

नीतीश कुमार को “राजनीतिक संतुलन के मास्टर” कहा जाता है। उन्होंने RJD, BJP, Congress — सभी दलों के साथ समय-समय पर गठबंधन किया है। जनता उन्हें “अवसरवादी” भी कहती है, लेकिन उन्होंने हमेशा इसे “राज्य हित” में उठाया गया कदम कहा है।


आलोचनाएँ

  • गठबंधन बदलने पर आलोचना: बार-बार गठबंधन बदलने के कारण उन्हें “पलटी बाबू” भी कहा गया।
  • बेरोज़गारी: बिहार में औद्योगिक विकास धीमा रहा है, जिससे नौजवानों में निराशा है।
  • मदिरा बंदी: नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी लागू की, परंतु इसका पालन और क्रियान्वयन कई जगहों पर विवादास्पद रहा।
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पुरस्कार और सम्मान

  • 2011 में CNN-IBN Indian of the Year (Politics)
  • 2012 में NDTV Indian of the Year
  • “सुशासन बाबू” की उपाधि जनमानस में घर कर गई है।

व्यक्तिगत जीवन

नीतीश कुमार का विवाह मंजू देवी से हुआ था, जिनका निधन 2007 में हो गया। उनका एक बेटा है – निशांत कुमार। वे निजी जीवन में काफी संयमी, सादा और मध्यमवर्गीय मूल्यों वाले व्यक्ति हैं।


निष्कर्ष:

Nitish Kumar का जीवन भारतीय राजनीति का एक अद्भुत अध्याय है। वे विकास पुरुष भी हैं, सुशासन बाबू भी, और राजनीतिक संतुलनकर्ता भी। उनकी राजनीति ने बिहार को स्थायित्व, कानून व्यवस्था और शिक्षा के क्षेत्र में एक नई दिशा दी है।

वे आज भी बिहार की राजनीति के केंद्रीय स्तंभ हैं और आने वाले वर्षों में भी उनके योगदान और निर्णयों की चर्चा होती रहेगी।


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