Pankaj Tripathi Biography – किसान का बेटा जो अभिनय का सम्राट बना

भारतीय फिल्म उद्योग में आज जिन चंद नामों का सम्मान के साथ उल्लेख किया जाता है, उनमें पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) का नाम शीर्ष पर आता है। बिहार के एक छोटे से गांव से निकलकर, बॉलीवुड की बुलंदियों तक पहुंचने का उनका सफर, मेहनत, धैर्य और प्रतिभा का प्रेरणादायक उदाहरण है।

इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि कैसे एक किसान का बेटा थिएटर, टीवी और फिर फिल्मों की दुनिया में छा गया और क्यों पंकज त्रिपाठी को आज “नेटफ्लिक्स का सुपरस्टार”, “हिंदी सिनेमा का मोस्ट वर्सटाइल एक्टर” और “मिर्ज़ापुर का कालीन भैया” कहा जाता है।


प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि

  • पंकज त्रिपाठी का जन्म 5 सितंबर 1976 को गोल्डन टोला, बेलसंड गांव, जिला गोपालगंज, बिहार में हुआ।
  • उनके पिता पंडित बनारस तिवारी किसान थे और माँ एक घरेलू महिला थीं। पंकज खुद भी अपने स्कूल के दिनों में खेती-बाड़ी में मदद करते थे।

शिक्षा

  • प्रारंभिक शिक्षा गाँव के सरकारी स्कूल से पूरी की।
  • आगे की पढ़ाई एचएन कॉलेज, पटना विश्वविद्यालय से की, जहाँ उन्होंने जीवविज्ञान (Biology) में स्नातक किया।
  • पटना में रहते हुए उन्होंने रंगमंच की ओर रुचि लेना शुरू किया और कॉलेज थियेटर में सक्रिय रहे।

अभिनय की ओर कदम

एनएसडी (NSD) में प्रवेश

  • अभिनय में गंभीर रुचि के चलते उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (National School of Drama), नई दिल्ली में प्रवेश लिया और 2004 में स्नातक हुए।
  • एनएसडी के दिनों में उन्होंने कई नाटकों में अभिनय किया और अपने अभिनय कौशल को निखारा।

फिल्मी सफर की शुरुआत

मुंबई आगमन

  • 2004 में एनएसडी से निकलने के बाद पंकज त्रिपाठी ने मुंबई का रुख किया।
  • प्रारंभिक दौर में उन्हें छोटे-छोटे रोल मिले, जिनमें कुछ तो इतने छोटे थे कि दर्शकों को याद भी नहीं रहते।

शुरुआती फिल्में

  • उनकी पहली फिल्म “Run” (2004) थी, जिसमें उन्होंने एक छोटा-सा रोल निभाया।
  • इसके बाद “ओमकारा”, “अपहरण”, “गैंग्स ऑफ वासेपुर”, जैसी फिल्मों में उन्होंने अपने अभिनय से धीरे-धीरे पहचान बनाई।

“गैंग्स ऑफ वासेपुर” से पहचान

2012 में अनुराग कश्यप की फिल्म “Gangs of Wasseypur” से उन्हें बड़ी पहचान मिली।

  • उन्होंने “सुलतान कुरैशी” का किरदार निभाया जो आज भी उनके सबसे दमदार और चर्चित किरदारों में गिना जाता है।
  • इसके बाद उन्होंने कई बड़े निर्देशकों और बैनर्स के साथ काम किया।

वेब सीरीज़ में सफलता

पंकज त्रिपाठी ने फिल्मों के साथ-साथ वेब सीरीज़ की दुनिया में भी जबरदस्त पहचान बनाई।

Mirzapur (मिर्ज़ापुर)

  • 2018 में रिलीज़ हुई “Mirzapur” वेब सीरीज़ में उन्होंने कालीन भैया (अखण्डानंद त्रिपाठी) का किरदार निभाया।
  • यह किरदार इतना लोकप्रिय हुआ कि पंकज त्रिपाठी को “कालीन भैया” के नाम से पहचाना जाने लगा।

अन्य प्रमुख वेब सीरीज़

  • Sacred Games
  • Criminal Justice
  • Yours Truly
  • Kaagaz
  • Gunjan Saxena – The Kargil Girl

फिल्में जो साबित करती हैं पंकज त्रिपाठी की विविधता

वर्षफिल्मकिरदार
2012गैंग्स ऑफ वासेपुरसुलतान
2015मसानपुलिस अधिकारी
2017न्यूटनअटल बिहारी (PA)
2018स्त्रीरुडी
2019लुका छुपीबापू
2020गुंजन सक्सेनापिता
2021मिमीडॉक्टर

पुरस्कार और सम्मान

  • राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (Special Mention) – “न्यूटन” के लिए
  • फिल्मफेयर अवॉर्ड्स – “स्त्री”, “मसान”, “गुंजन सक्सेना” जैसी फिल्मों में अभिनय के लिए
  • IIFA, Screen Awards, और Zee Cine Awards में नामांकन और जीत

अभिनय की शैली

पंकज त्रिपाठी की विशेषता यह है कि वह कम शब्दों में गहरी भावनाएं व्यक्त कर देते हैं। उनकी आंखों में अभिनय होता है और डायलॉग डिलीवरी इतनी नेचुरल होती है कि किरदार जीवंत लगते हैं।

pankaj tripathi image
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वह हमेशा कहते हैं –

“मैं अभिनय नहीं करता, मैं किरदार जीता हूं।”


व्यक्तिगत जीवन

  • पंकज त्रिपाठी की पत्नी का नाम मृदुला त्रिपाठी है।
  • उनकी एक बेटी भी है।
  • वह अपने परिवार के साथ मुंबई में रहते हैं, लेकिन बिहार से उनका गहरा जुड़ाव आज भी बना हुआ है।

Pankaj Tripathi बिहार से लगाव

  • पंकज त्रिपाठी आज भी अपने गाँव और राज्य के लिए दिल से जुड़े हैं।
  • उन्होंने कई इंटरव्यू में कहा है कि बिहार की मिट्टी ने ही मुझे बनाया है
  • गाँव के बच्चों को प्रोत्साहित करते हैं कि वे थिएटर, साहित्य और संस्कृति को अपनाएं।

सामाजिक योगदान

  • वह गाँव में पुस्तकालय और कला केंद्र की योजना पर काम कर चुके हैं।
  • शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में उनका योगदान सराहनीय है।

निष्कर्ष

Pankaj Tripathi सिर्फ एक अभिनेता नहीं हैं – वे बिहार की प्रतिभा का प्रतीक, नवयुवाओं के लिए प्रेरणा, और सादगी में सफलता की मिसाल हैं। उनकी यात्रा यह सिखाती है कि अगर जुनून हो, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं।


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