भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अनेक वीरांगनाओं ने अपने अद्वितीय साहस, संघर्ष और बलिदान से इतिहास रचा। इन्हीं में से एक थीं Vidyawati Devi जो बिहार की महान स्वतंत्रता सेनानियों में गिनी जाती हैं। उन्होंने न सिर्फ ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आवाज़ बुलंद की, बल्कि समाज में महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए भी अमूल्य योगदान दिया।

🔸 प्रारंभिक जीवन एवं पृष्ठभूमि
Vidyawati Devi का जन्म बिहार के एक साधारण परिवार में हुआ था, लेकिन उनके विचार और आत्मबल असाधारण थे। उन्होंने उस युग में शिक्षा ग्रहण की जब महिलाओं का बाहर निकलना भी कठिन था। बचपन से ही वे समाज में फैली कुरीतियों और अंग्रेजी शासन की क्रूरता को देखती रहीं, जिसने उनके भीतर विद्रोह की भावना को जन्म दिया।
🔸 स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान
Vidyawati Devi गांधीजी के अहिंसात्मक आंदोलन और स्वदेशी विचारधारा से अत्यधिक प्रभावित थीं। उन्होंने नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन और स्वदेशी आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की।
- वे महिलाओं को आंदोलन से जोड़ने का कार्य करती थीं और घर-घर जाकर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ जागरूकता फैलाती थीं।
- उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जुलूस निकाले, सभाओं का आयोजन किया और स्वयं जेल भी गईं।
- उनके कार्यों ने न केवल ब्रिटिश सरकार को परेशान किया, बल्कि उन्होंने ग्रामीण समाज में महिलाओं को राजनीतिक चेतना भी दी।
🔸 सामाजिक सुधार में योगदान
स्वतंत्रता के बाद भी विद्यावती देवी ने समाज सेवा का मार्ग नहीं छोड़ा।
- उन्होंने नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए गाँवों में स्कूलों की स्थापना की।
- बाल विवाह, पर्दा प्रथा और दहेज जैसी कुरीतियों के खिलाफ जन-जागरूकता अभियान चलाए।
- उनकी प्रेरणा से कई महिलाएं शिक्षिका, नर्स, और सामाजिक कार्यकर्ता बनीं।

🔸 सम्मान और स्मृति
हालाँकि विद्यावती देवी का योगदान इतिहास की किताबों में उतना प्रमुख नहीं दिखता, लेकिन स्थानीय स्तर पर वे “बिहार की झांसी की रानी” मानी जाती हैं।
- भारत सरकार और राज्य सरकार ने उन्हें स्वतंत्रता सेनानी पेंशन योजना के अंतर्गत सम्मानित किया।
- कई संस्थानों और स्कूलों का नाम विद्यावती देवी के नाम पर रखा गया है।
- उनके जीवन पर स्थानीय नाट्य मंचन और लेख भी प्रस्तुत किए जाते हैं।
🔸 प्रेरणा स्रोत
Vidyawati Devi आज की पीढ़ी के लिए एक महान प्रेरणा हैं।
- उन्होंने दिखाया कि साधारण पृष्ठभूमि से भी असाधारण कार्य किए जा सकते हैं।
- उनका जीवन नारी शक्ति, साहस और समर्पण का प्रतीक है।
- उन्होंने हमें सिखाया कि आंदोलन केवल लड़ाई नहीं, बल्कि जागरूकता और नेतृत्व से भी लड़ा जा सकता है।
🔸 निष्कर्ष
विद्यावती देवी जैसी वीरांगनाओं के कारण ही भारत को स्वतंत्रता मिली और आज हम खुली हवा में साँस ले पा रहे हैं। ऐसे महान व्यक्तित्वों को याद करना, उनके संघर्षों से सीखना और उन्हें अगली पीढ़ी तक पहुँचाना हमारा कर्तव्य है।
🙏 जय हिंद! जय बिहार!
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