
Dussehra, जिसे “विजयादशमी” के नाम से भी जाना जाता है, भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह पर्व हिंदू धर्म में बुराई पर अच्छाई की जीत Dussehra 2025 date के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। दशहरा कब है? दशहरा नवरात्रि के नौ दिनों के उपवास और पूजा-अर्चना के बाद दसवें दिन आता है। Why is Dussehra celebrated? रावण दहन का समय यह त्योहार न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस लेख में हम दशहरे के इतिहास, धार्मिक महत्व, पौराणिक कथाओं, भारत के विभिन्न राज्यों में मनाने के तरीकों, रावण दहन की परंपरा, रामलीला कार्यक्रम सामाजिक प्रभाव और दशहरा शुभ मुहूर्त आधुनिक समय में इसकी प्रासंगिकता के बारे में विस्तार से जानेंगे।
दशहरा का इतिहास और धार्मिक महत्व

1. रामायण और रावण वध
दशहरे की सबसे प्रसिद्ध पौराणिक कथा रामायण से जुड़ी है। इस दिन भगवान राम ने लंका के अत्याचारी राजा रावण का वध किया था। Ramayana and Dussehra story रावण ने माता सीता का हरण किया था और अपने अहंकार में अंधा होकर अधर्म का मार्ग अपना लिया था। भगवान राम ने 10 दिनों तक चले युद्ध के बाद रावण का वध किया और धर्म की स्थापना की। इसी कारण इस दिन को “विजयादशमी” भी कहा जाता है।
2. महाभारत और पांडवों का अज्ञातवास समाप्ति
महाभारत के अनुसार, पांडवों ने अपने 13 वर्ष के वनवास के दौरान अपने अस्त्र-शस्त्र एक शमी वृक्ष के नीचे छुपाए थे। विजयादशमी के दिन उन्होंने उन्हें फिर से प्राप्त किया और अपना राजपाट वापस पाने के लिए युद्ध की तैयारी की।
3. देवी दुर्गा का महिषासुर वध
दुर्गा पूजा के नौ दिनों के बाद दसवें दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए बंगाल, ओडिशा और असम में इस दिन को दुर्गा विसर्जन के साथ मनाया जाता है।
4. शस्त्र पूजन की परंपरा
प्राचीन काल में राजा-महाराजा इस दिन शस्त्रों की पूजा करते थे और नए युद्ध अभियान की शुरुआत करते थे। आज भी सेना और पुलिस बलों में इस दिन शस्त्र पूजन की परंपरा है।
दशहरा कब और कैसे मनाया जाता है?
दशहरा हिंदू कैलेंडर के Dussehra celebration ideas अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। दशहरा की कहानी यह त्योहार नवरात्रि के नौ दिनों के बाद आता है और देशभर में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।

1. रामलीला का आयोजन
- दशहरे से पहले नौ दिनों तक रामलीला का आयोजन किया जाता है, जिसमें रामायण के प्रसंगों को नाटक के रूप में दिखाया जाता है।
- दिल्ली के रामलीला मैदान और वाराणसी की रामनगर रामलीला विश्व प्रसिद्ध हैं।
2. रावण दहन
- दशहरे के दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं।
- यह प्रतीकात्मक रूप से बुराई के अंत का संकेत देता है।
3. शमी वृक्ष की पूजा
- महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में शमी के पेड़ की पूजा की जाती है और इसके पत्तों को “सोना” मानकर एक-दूसरे को भेंट किया जाता है।
4. दुर्गा विसर्जन
- पूर्वी भारत में दुर्गा प्रतिमाओं को विसर्जित किया जाता है और बिदाई की रस्म की जाती है।
भारत के विभिन्न राज्यों में दशहरा
1. उत्तर भारत

- रामलीला और रावण दहन का विशेष आयोजन होता है।
- कुल्लू (हिमाचल) का अंतर्राष्ट्रीय दशहरा मेला प्रसिद्ध है।
2. पश्चिम बंगाल, असम और ओडिशा
- दुर्गा पूजा के बाद विसर्जन और सिंदूर खेला जाता है।
3. दक्षिण भारत
- मैसूर (कर्नाटक) में शाही जुलूस निकाला जाता है।
- आंध्र प्रदेश में बॉम्मेलु उत्सव मनाया जाता है।
4. गुजरात
- नवरात्रि में गरबा और डांडिया का आयोजन होता है।
दशहरा का सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव

1. सामाजिक एकता
- यह त्योहार समाज के सभी वर्गों को एक साथ लाता है।
2. नैतिक शिक्षा
- यह बच्चों को अच्छाई और सत्य का मार्ग दिखाता है।
3. आर्थिक महत्व
- रामलीला, मेलों और पुतला निर्माण से कई लोगों को रोजगार मिलता है।
आधुनिक समय में दशहरा
- आजकल पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए इको-फ्रेंडली पुतलों का उपयोग किया जा रहा है।
- डिजिटल रामलीला और वर्चुअल उत्सवों का प्रचलन बढ़ा है।






निष्कर्ष
दशहरा न सिर्फ एक धार्मिक त्योहार है विजयादशमी का महत्व बल्कि यह हमारी संस्कृति और मूल्यों का प्रतीक है। हमें इस पर्व से यह सीख लेनी चाहिए कि अंततः सत्य और धर्म की ही जीत होती है।
“बुराई को जलाएँ, अच्छाई को अपनाएँ, दशहरा का संदेश सदैव याद रखें!”
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