झारखंड, भारत के पूर्वी हिस्से में स्थित एक प्राकृतिक, सांस्कृतिक और खनिज विविधता से परिपूर्ण राज्य है। Jharkhand Geography Location इसे “झाड़ियों का क्षेत्र” कहा जाता है और इसकी भौगोलिक स्थिति इसे एक अद्वितीय पहचान प्रदान करती है। यह राज्य प्राकृतिक सौंदर्य, वन संपदा, पठारी धरातल और खनिज भंडार के लिए प्रसिद्ध है। भारत के संघीय ढांचे में इसकी भूमिका न केवल भौगोलिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि रणनीतिक, आर्थिक और पारिस्थितिक रूप से भी अत्यंत मूल्यवान है।
इस व्लॉग पोस्ट में हम विस्तार से जानेंगे झारखंड के भूगोल, भौगोलिक स्थान, सीमाएँ, जलवायु, नदियाँ, पर्वत, पठार, खनिज संसाधन, वन संपदा, मिट्टी, कृषि, जनसंख्या वितरण और पारिस्थितिक विशेषताओं के बारे में। आइए झारखंड की भौगोलिक संरचना का गहराई से अवलोकन करें।
1. झारखंड का स्थान और सीमाएँ
1.1 भौगोलिक स्थिति:
झारखंड राज्य भारत के पूर्वी भाग में स्थित है।
- अक्षांश: 21°58’N से 25°18’N
- देशांतर: 83°22’E से 87°57’E
यह भौगोलिक स्थिति झारखंड को उपोष्णकटिबंधीय जलवायु क्षेत्र में लाती है, जिससे यहाँ गर्म ग्रीष्म, मध्यम सर्दी और मानसूनी वर्षा पाई जाती है।
1.2 सीमाएँ:
झारखंड चार राज्यों से घिरा हुआ है:
- उत्तर में: बिहार
- पश्चिम में: उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़
- दक्षिण में: ओडिशा
- पूर्व में: पश्चिम बंगाल
इसकी भौगोलिक स्थिति इसे भारत के पूर्वी औद्योगिक गलियारे का हिस्सा बनाती है।
2. क्षेत्रफल और प्रशासनिक संरचना
- कुल क्षेत्रफल: लगभग 79,716 वर्ग किलोमीटर
- भारत में रैंक: क्षेत्रफल की दृष्टि से 15वाँ स्थान
- जिले: 24
- प्रमुख शहर: रांची (राजधानी), जमशेदपुर, बोकारो, धनबाद, देवघर, हजारीबाग
झारखंड की प्रशासनिक संरचना पाँच प्रमंडलों में विभाजित है: दक्षिणी छोटानागपुर, उत्तरी छोटानागपुर, संथाल परगना, पलामू और कोल्हान।
3. भौगोलिक संरचना: पहाड़, पठार और मैदान
3.1 छोटा नागपुर पठार:
झारखंड का अधिकांश हिस्सा छोटा नागपुर पठार पर स्थित है, जो राज्य की भौगोलिक और भूगर्भिक पहचान है।
- यह पठार चार भागों में विभाजित है:
- रांची पठार
- हजारीबाग पठार
- पलामू पठार
- झरिया-रामगढ़ क्षेत्र
इन पठारों की औसत ऊँचाई 700–1100 मीटर है और ये भूगर्भीय दृष्टि से गोंडवाना युग के हैं।
3.2 प्रमुख पहाड़ियाँ:
- पारसनाथ पर्वत (गिरिडीह) – 1350 मीटर, राज्य का सबसे ऊँचा शिखर
- नेतरहाट पठार – “झारखंड का शिमला”
- दलमा पर्वतमाला (जमशेदपुर के निकट)
- राजमहल की पहाड़ियाँ (संथाल परगना) – पुरातात्त्विक महत्व
4. जलवायु और वर्षा
4.1 जलवायु:
झारखंड की जलवायु को उपोष्णकटिबंधीय मानसूनी कहा जा सकता है। यहाँ गर्मी, वर्षा और सर्दी – तीन प्रमुख ऋतुएँ पाई जाती हैं।
- ग्रीष्म ऋतु (मार्च–जून): तापमान 35–45°C तक
- वर्षा ऋतु (जुलाई–सितंबर): दक्षिण-पश्चिम मानसून से वर्षा
- शीत ऋतु (नवंबर–फरवरी): न्यूनतम तापमान 5°C तक गिर जाता है
4.2 औसत वार्षिक वर्षा:
झारखंड को सालाना औसतन 1200–1600 मिमी वर्षा प्राप्त होती है। Jharkhand Geography Location पश्चिमी जिलों में कम वर्षा, जबकि पूर्वी और दक्षिणी भागों में अधिक वर्षा होती है।
5. नदियाँ और जल निकासी प्रणाली
5.1 प्रमुख नदियाँ:
- दामोदर नदी: पश्चिम बंगाल में जाकर हुगली से मिलती है
- स्वर्णरेखा नदी: झारखंड से निकलकर बंगाल होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है
- बराकर नदी: दामोदर की सहायक नदी
- कोयल नदी: पलामू क्षेत्र में बहती है
- शंख और दक्षिण कोयल: चाईबासा, गुमला क्षेत्र में
5.2 जल निकासी क्षेत्र:
राज्य के जलनिकासी क्षेत्र चार प्रमुख बेसिन में आते हैं –
- गंगा बेसिन
- दामोदर बेसिन
- स्वर्णरेखा बेसिन
- माही बेसिन
इन नदियों पर पंचेत, मायथन, और तेनुघाट जैसे जलाशय और बांध बनाए गए हैं।
6. मिट्टी, कृषि और उपज
6.1 मिट्टी की प्रमुख किस्में:
- लाल और पीली मिट्टी: झारखंड की सबसे सामान्य मिट्टी – शुष्क और अम्लीय
- लेटराइट मिट्टी: पठारी क्षेत्रों में पाई जाती है
- काली मिट्टी: कुछ क्षेत्रों में, विशेषकर कोयलांचल में
- बलुई और जलोढ़ मिट्टी: नदियों के किनारे

6.2 प्रमुख फसलें:
- धान – मुख्य खरीफ फसल
- गेहूँ, मक्का, जौ, चना – रबी फसल
- दालें, तिलहन, मोटे अनाज
- कृषि प्रणाली: वर्षा पर निर्भर पारंपरिक कृषि; सिंचाई सीमित
7. वन संपदा और जैव विविधता
झारखंड का लगभग 29% क्षेत्र वनों से आच्छादित है।
7.1 प्रमुख वनों के प्रकार:
- साल, सागौन, शीशम – वाणिज्यिक महत्व के पेड़
- महुआ, तेंदू, बांस, कुसुम – ग्रामीण जीवन और वनोपज से जुड़े
7.2 वन्यजीव और अभयारण्य:
- पलामू टाइगर रिज़र्व
- हजारीबाग वाइल्डलाइफ सेंचुरी
- दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी
- बीटाला और उधवा पक्षी विहार
इन क्षेत्रों में बाघ, हाथी, भालू, हिरण, नीलगाय, जंगली सूअर और सैकड़ों पक्षियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
8. खनिज संपदा और भूगर्भिक विशेषताएँ
झारखंड की धरती खनिज संसाधनों से अत्यंत समृद्ध है।
8.1 प्रमुख खनिज:
- कोयला: झरिया, बोकारो, गिरिडीह
- लौह अयस्क: नोआमुंडी, गुआ
- बॉक्साइट, मैगनीज, यूरेनियम: जादूगोड़ा, सिंगभूम
- सोना: पारसगढ़
- ग्रेफाइट, चूना पत्थर, डोलोमाइट
8.2 भूगर्भिक विशेषताएँ:
झारखंड गोंडवाना भू-खंड का हिस्सा है। Jharkhand Geography Location यहाँ के खनिज मुख्यतः तलछटी और आग्नेय चट्टानों में स्थित हैं। यहाँ कई भूवैज्ञानिक दोष (fault lines) भी पाए जाते हैं।
9. प्राकृतिक आपदाएँ और पारिस्थितिकी
9.1 प्राकृतिक आपदाएँ:
- सूखा: वर्षा पर निर्भर कृषि के कारण
- खनन जनित भूमि क्षरण
- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
- वनों की कटाई और जैव विविधता ह्रास
9.2 पारिस्थितिकी संरक्षण की पहल:
- झारखंड सरकार द्वारा वन संरक्षण, जल संचयन, जैव विविधता पार्क और खनन नियंत्रण हेतु कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं।
10. मानचित्रीय स्थिति और रणनीतिक महत्व
- झारखंड भारत के औद्योगिक गलियारे का भाग है
- यह पूर्वी भारत के खनिज, जल संसाधन और ऊर्जा उत्पादन का केंद्र है
- रेल और राजमार्ग नेटवर्क इसे प्रमुख बंदरगाहों और राज्यों से जोड़ते हैं
समापन
झारखंड का भूगोल केवल शुष्क आँकड़ों की जानकारी नहीं देता, Jharkhand Geography Location बल्कि यह राज्य की आत्मा को समझने का माध्यम है। यहाँ की भूमि में छिपे खनिज, हरे-भरे वन, बहती नदियाँ, ऊँचे पठार, आदिवासी संस्कृति और कृषि – सभी मिलकर झारखंड को भारत की भौगोलिक विविधता का एक अनमोल हिस्सा बनाते हैं।
यदि सतत विकास और पर्यावरणीय संरक्षण को साथ लेकर चलें, तो झारखंड न केवल भारत के लिए बल्कि दुनिया के लिए एक आदर्श राज्य बन सकता है।
✍️ लेखक: vsasingh.com टीम
📅 प्रकाशित तिथि: 17 अगस्त 2025
🌐 स्रोत: www.vsasingh.com
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