मोहिनीअट्टम केरल की शास्त्रीय एकल नृत्य शैली है जिसका शाब्दिक अर्थ है “मोहिनी (भगवान विष्णु की स्त्री अवतार) का नृत्य”। यह नृत्य अपनी प्रवाहमय लयबद्ध गतियों, कोमल अंगसंचालन और भावपूर्ण अभिनय के लिए विश्व प्रसिद्ध है। Mohiniyattam में लास्य (स्त्रील) और भक्ति रस की प्रधानता होती है, जिसमें मुख्यतः पद्मनाभ स्वामी मंदिर और गुरुवायुर मंदिर की परंपराओं का प्रभाव देखने को मिलता है।
2. ऐतिहासिक विकास
2.1 प्राचीन उत्पत्ति (9वीं-12वीं शताब्दी)
- चेर साम्राज्य काल में देवदासी परंपरा
- तंजौर अभिलेखों और मंदिर मूर्तियों में उल्लेख
- भरतमुनि के नाट्यशास्त्र का प्रभाव
2.2 मध्यकालीन अवधि (16वीं-18वीं शताब्दी)
- स्वाति तिरुनल महाराजा का संरक्षण
- कवि कुंचन नम्बियार के अट्टकथाओं का प्रभाव
- मार्तण्ड वर्मा द्वारा पुनर्जीवन
2.3 आधुनिक पुनरुत्थान (19वीं-21वीं शताब्दी)
- वल्लाथोल नारायण मेनन का योगदान
- कलामंडलम कल्याणी अम्मा और कलामंडलम सत्यभामा का प्रभाव
- संगीत नाटक अकादमी द्वारा मान्यता (1958)
3. तकनीकी पहलू
3.1 मूलभूत स्थितियाँ
- समपद: सीधी मुद्रा
- अरामंडी: अर्ध-बैठक स्थिति
- चौक्रम: चौकोर स्थिति
3.2 हस्त मुद्राएँ
- 24 मूल हस्त मुद्राएँ (असमयुक्त हस्त)
- नवरस की अभिव्यक्ति
3.3 पद संचालन
- चुज़िप्पु: पैरों की मूल गति
- तगणम्: लयबद्ध पद संचालन
4. प्रमुख प्रदर्शन घटक
4.1 चोल्केट्टु
- प्रारंभिक तालमापन
- मंगलाचरण
4.2 जतिस्वरम्
- शुद्ध नृत्य खंड
- राग और ताल का समन्वय
4.3 वर्णम्
- नृत्य और अभिनय का संयोजन
- पद्मनाभस्वामी कीर्तनम
4.4 पदम्
- भक्ति गीतों पर अभिनय
- जयदेव की गीत गोविंद
4.5 तिल्लाना
- तेज गति का समापन
5. वेशभूषा और आभूषण
5.1 पारंपरिक पोशाक
- कसावु साड़ी: सफेद-सुनहरी बॉर्डर
- राजस: विशेष ब्लाउज
5.2 आभूषण
- चूड़ामणि: सिर का आभूषण
- कुंची: कान के झुमके
5.3 मेकअप
- आँखों पर काजल
- हल्के गुलाबी गाल
6. संगीत और वाद्य यंत्र
6.1 संगीत शैली
- सोपानम संगीत
- मणिप्रवालम भाषा
6.2 वाद्य यंत्र
- मद्दलम: बेलनाकार ढोल
- इडक्का: ड्रम
- वीणा: तंत्र वाद्य
7. प्रसिद्ध गुरु और कलाकार
7.1 प्रमुख गुरु
- कलामंडलम कल्याणी अम्मा
- कलामंडलम सत्यभामा
- भरती शिवाजी
7.2 समकालीन कलाकार
- स्मिता राजन
- गोपीका वर्मा
- नयना नायर
8. आधुनिक समय में मोहिनीअट्टम
8.1 वैश्विक प्रसार
- अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रदर्शन
- यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में सम्मिलिति
8.2 नवीन प्रयोग
- समकालीन विषयों पर प्रस्तुति
- अन्य नृत्य शैलियों के साथ प्रयोग
9. निष्कर्ष
मोहिनीअट्टम केरल की सांस्कृतिक धरोहर है जो अपनी सौम्यता और गरिमा के लिए विशेष पहचान रखती है। यह नृत्य शैली नारी सुलभ गुणों और भक्ति भावना का अनूठा संगम प्रस्तुत करती है।















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“लास्य है प्राण, भक्ति है आत्मा, मोहिनीअट्टम है केरल की धरोहर। विष्णु की मोहिनी, शिव का ताण्डव, यही तो है नृत्य का सार।”
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