Uttar Pradesh culture और परंपराएँ इसकी आत्मा हैं। यह राज्य हजारों वर्षों से विविध संस्कृतियों, सभ्यताओं और समुदायों का संगम रहा है। यहाँ की लोक कलाएँ, गीत, नृत्य, भोजन, वेशभूषा और त्यौहार राज्य की विविधता और एकता दोनों का प्रतिबिंब हैं।
🔹 लोक गीत व लोक नृत्य
Uttar Pradesh culture के गाँवों में आज भी लोक गीतों की परंपरा जीवंत है। विवाह, जन्म, पर्व या खेती—हर अवसर पर गीत गाए जाते हैं:
- नौटंकी: एक पारंपरिक लोकनाट्य जिसमें नृत्य, गीत और संवाद शामिल होते हैं। यह मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक संदेश भी देती है।
- बिरहा: यह पूर्वांचल का प्रसिद्ध लोक गीत है, जिसमें प्रवासी पुरुष और उसकी विरहिणी पत्नी की व्यथा गाई जाती है।
- आल्हा: बुंदेलखंड क्षेत्र का वीर रस प्रधान गायन, जो आल्हा-ऊदल के युद्ध पर आधारित है।
- कजरी, चैती, सोहर, झूला: महिला केंद्रित भावनात्मक गीत जो सावन, चैत्र मास, प्रसव आदि जीवन स्थितियों से जुड़े हैं।
🔹 मेले और त्यौहार
उत्तर प्रदेश में हर महीने कोई न कोई उत्सव होता है। यहाँ के पर्व धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन को अभिव्यक्त करते हैं:
- कुम्भ मेला (प्रयागराज): विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक समागम। बारह वर्षों में एक बार लगता है।
- रामलीला (अयोध्या, काशी): रामायण का मंचन, जिसमें श्रीराम के जीवन का जीवंत चित्रण होता है।
- मुहर्रम: मुस्लिम समुदाय द्वारा इमाम हुसैन की शहादत की स्मृति में मनाया जाने वाला पर्व। कर्बला की झाँकियाँ निकलती हैं।
- दीपावली, होली, ईद, रक्षाबंधन, कृष्ण जन्माष्टमी, महाशिवरात्रि जैसे त्यौहार राज्य भर में हर्षोल्लास से मनाए जाते हैं।

🔹 भोजन संस्कृति
उत्तर प्रदेश का खाना क्षेत्रीय विविधता से भरपूर है:
- तेहरी: मसालेदार चावल की डिश, खासतौर पर लखनऊ व आसपास लोकप्रिय।
- बाटी चोखा: पूर्वांचल और बुंदेलखंड का पारंपरिक भोजन।
- कचौड़ी-जलेबी: सुबह के नाश्ते का प्रिय विकल्प, खासकर वाराणसी और कानपुर में।
- पेड़ा (मथुरा), रबड़ी (हाथरस), बालूशाही (जौनपुर): मिठाइयाँ जो पूरे भारत में प्रसिद्ध हैं।
🔹 पारंपरिक वेशभूषा
वेशभूषा क्षेत्र, जाति और मौसम के अनुसार भिन्न होती है:
- पुरुष: धोती-कुर्ता, अंगरखा, सिर पर साफा या गमछा। शादी-ब्याह में शेरवानी।
- महिला: साड़ी, घाघरा-चोली, और विदुषियों द्वारा बनारसी साड़ी या सूती साड़ी।
- बुनाई व वस्त्र: बनारसी साड़ी की बुनाई, लखनऊ की चिकनकारी और मऊ की सिल्क फैब्रिक विश्वविख्यात हैं।
🔹 शिल्प और हस्तकला
राज्य की कला में परंपरा और नवीनता का सुंदर समन्वय मिलता है:
- चिकनकारी (लखनऊ): महीन कढ़ाई कला जो पूरे भारत में प्रसिद्ध है।
- टेराकोटा (गोरखपुर): मिट्टी से बनी आकृतियाँ और मूर्तियाँ।
- कांच के कंगन (फिरोजाबाद): रंग-बिरंगे बँगल्स का सबसे बड़ा केंद्र।
- लकड़ी व पीतल शिल्प (मुरादाबाद, सहारनपुर): घरेलू और सजावटी सामान का निर्यात केंद्र।
- चित्रकला: बुंदेलखंड की लोक चित्रकला और मिथिला चित्र शैली का प्रभाव।
🔹 सांस्कृतिक केंद्र व परंपराएँ
- संगीत: उत्तर प्रदेश हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की जन्मस्थली है—बिस्मिल्लाह खान, गिरिजा देवी, नसीरुद्दीन खाँ जैसे कलाकार यहीं से हुए।
- साहित्य: तुलसीदास, प्रेमचंद, निराला, हरिवंश राय बच्चन जैसे महान साहित्यकार उत्तर प्रदेश से हैं।
- शास्त्र और ज्ञान: अयोध्या, काशी, मथुरा ज्ञान और दर्शन के प्राचीन केंद्र रहे हैं।
Uttar Pradesh culture और परंपराएँ इसकी पहचान और आत्मा हैं। यहाँ का जीवन, त्यौहार, संगीत, पहनावा और कला पूरे भारत को सांस्कृतिक विविधता का संदेश देते हैं।
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