Bharatanatyam : भरतनाट्यम भारतीय शास्त्रीय नृत्य की एक सम्पूर्ण गाइड

भरतनाट्यम भारत के सबसे प्राचीन और Bharatanatyam history in Hindi प्रतिष्ठित शास्त्रीय नृत्यों में से एक है जिसकी उत्पत्ति तमिलनाडु के Bharatanatyam mudras with images मंदिरों में हुई। यह नृत्य कला न केवल शारीरिक गतिविधियों का समूह है बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव भी है जो भक्ति, संगीत और नाटक का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। इस लेख में हम Bharatanatyam के इतिहास, तकनीकी पहलुओं, प्रमुख घटकों, Bharatanatyam kya hai? प्रसिद्ध नर्तकियों और आधुनिक समय में इसकी प्रासंगिकता के बारे में विस्तार से जानेंगे

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

1. प्राचीन मूल

  • नटराज की मूर्तियों और सिलप्पादिकारम जैसे प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख
  • देवदासी परंपरा (300 ईसा पूर्व – 300 ईस्वी)
  • चोल और पांड्य साम्राज्य काल में विकास

2. मध्यकालीन अवधि

  • मंदिरों में नृत्य का धार्मिक महत्व
  • भरत मुनि के नाट्य शास्त्र का प्रभाव
  • मराठा शास्ट्रो में संरक्षण

3. आधुनिक पुनरुद्धार

  • 20वीं सदी में ई. कृष्णा अय्यर और रुक्मिणी देवी अरुंडेल का योगदान
  • कलाक्षेत्र फाउंडेशन की भूमिका
  • वैश्विक मंच पर प्रस्तुति

तकनीकी पहलू

1. मूलभूत स्थितियाँ (Aramandi)

  • आरामंडी (अर्ध-बैठक स्थिति)
  • मुख्य पद संचालन
  • शरीर संतुलन का महत्व

2. हस्त मुद्राएँ (Asamyuta & Samyuta Hasta)

  • 28 एकल हस्त मुद्राएँ
  • 24 संयुक्त हस्त मुद्राएँ
  • मुद्राओं की कथा वाचन में भूमिका

3. भाव प्रकटीकरण (Navarasas)

  • नौ रसों का प्रदर्शन
  • आँखों और चेहरे के भाव
  • अभिनय की सूक्ष्मताएँ

प्रमुख घटक

1. अलारिप्पु

  • प्रारंभिक प्रस्तुति
  • ताल और जटिल पद संचालन

2. जतिस्वरम्

  • शुद्ध नृत्य खंड
  • राग और ताल का समन्वय

3. शब्दम्

  • भक्ति गीतों पर नृत्य
  • सरल अभिनय

4. वर्णम्

  • सबसे जटिल खंड (30-45 मिनट)
  • नृत्य और अभिनय का संतुलन

5. पदम्

  • भाव प्रधान खंड
  • कविता की व्याख्या

6. थिल्लाना

  • समापन खंड
  • तेज गति के पद संचालन

वेशभूषा और साज-सज्जा

1. पारंपरिक पोशाक

  • कांचीपुरम साड़ी
  • विस्तृत ब्लाउज और पायजामा
  • जरी का काम

2. आभूषण

  • सिर के आभूषण (चूड़ामणि)
  • कानों के झुमके (जिम्की)
  • हाथ-पैरों की घुंघरू (सलंगई)

3. मेकअप

  • आँखों पर गहरी रेखाएँ
  • बिंदी और चूड़ामणि
  • हाथों और पैरों पर अलता

प्रसिद्ध घराने और नर्तक

1. प्रमुख घराने

  • तंजावुर घराना
  • पंडनल्लूर घराना
  • मैसूर घराना

2. प्रसिद्ध नर्तक

  • रुक्मिणी देवी अरुंडेल
  • बालासरस्वती
  • यामिनी कृष्णमूर्ति
  • सोनल मानसिंह
  • मालविका सरुकाई

आधुनिक समय में भरतनाट्यम

1. समकालीन प्रयोग

  • नए विषयों पर प्रस्तुति
  • पश्चिमी नृत्य के साथ सम्मिश्रण

2. शिक्षा में भूमिका

  • विश्वविद्यालय स्तर पर पाठ्यक्रम
  • ऑनलाइन कक्षाएँ

3. वैश्विक पहचान

  • अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रदर्शन
  • विदेशी छात्रों में लोकप्रियता

निष्कर्ष

भरतनाट्यम न सिर्फ एक नृत्य शैली है Bharatanatyam dance बल्कि भारतीय संस्कृति का जीवंत प्रतीक है जो हजारों वर्षों की परंपरा Bharatanatyam history को आज भी जीवित रखे हुए है। यह कला रूप निरंतर Bharatanatyam mudras विकसित हो रहा है और नई पीढ़ियों को प्रेरित कर रहा है।

“नृत्य ही यज्ञ है, शरीर ही अग्नि, हृदय से निकले भाव ही आहुति, यही सच्चा भरतनाट्यम है।”

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