बिहार की भूमि न केवल राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से महान रही है, Mahavir Swami बल्कि यह भारत की धार्मिक चेतना का भी केंद्र रही है। इस पवित्र भूमि ने अनेक संतों, मुनियों और महापुरुषों को जन्म दिया, जिन्होंने मानवता को दिशा दिखाई। इन्हीं में से एक थे भगवान महावीर स्वामी, जो जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर माने जाते हैं। उनका जन्म और तप बिहार की ही भूमि पर हुआ, जिसने उन्हें एक वैश्विक धार्मिक और दार्शनिक नेता के रूप में प्रतिष्ठित किया।
1. महावीर स्वामी का जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि
महावीर स्वामी का जन्म लगभग 599 ईसा पूर्व वैशाली (वर्तमान बिहार) के कुंडलग्राम में हुआ था। उनका जन्म राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के घर हुआ था। वे ज्ञात वंश के थे, जो लिच्छवी गणराज्य से जुड़ा हुआ था। उनका वास्तविक नाम वर्धमान था, जिसका अर्थ है – ‘विकसित होने वाला’।

विशेष तथ्य:
- जन्म स्थान: कुंडलग्राम (वर्तमान वैशाली ज़िला, बिहार)
- वंश: ज्ञात वंश
- माता-पिता: राजा सिद्धार्थ व रानी त्रिशला
- धर्म: जैन धर्म
- काल: लगभग 599 ईसा पूर्व से 527 ईसा पूर्व
2. युवावस्था और सांसारिक जीवन
महावीर स्वामी बचपन से ही बुद्धिमान, संयमी और करुणामय थे। एक राजकुमार होते हुए भी उन्हें सांसारिक सुखों में विशेष रुचि नहीं थी। किंवदंतियों के अनुसार, उन्होंने विवाह किया और एक पुत्री भी हुई, लेकिन उनके मन में वैराग्य उत्पन्न हो गया।
वैराग्य की भावना:
तीस वर्ष की आयु में, उन्होंने सांसारिक जीवन का त्याग कर दिया और 12 वर्षों तक घोर तपस्या में लीन रहे। उन्होंने नग्न अवस्था में जीवन व्यतीत किया और अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, और अपरिग्रह के सिद्धांतों का पालन किया।
3. ज्ञान की प्राप्ति
12 वर्षों की तपस्या के बाद, उन्हें कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई। उन्हें “केवलज्ञानी” कहा गया, यानी वह व्यक्ति जिसने सत्य को पूर्णतः जान लिया हो। इसके बाद उन्होंने जैन धर्म के प्रचार-प्रसार का कार्य प्रारंभ किया।
स्थान:
महावीर स्वामी को कैवल्य ज्ञान जृंभिक ग्राम के पास ऋजुपालिका नदी के किनारे प्राप्त हुआ, जो वर्तमान में बिहार में स्थित है।
4. जैन धर्म के सिद्धांत
महावीर स्वामी ने जैन धर्म को संगठित रूप दिया और इसके पाँच मुख्य व्रतों की शिक्षा दी:
- अहिंसा (Non-violence): किसी भी जीव को न मारना, न हानि पहुँचाना।
- सत्य (Truth): सदा सत्य बोलना और झूठ से बचना।
- अस्तेय (Non-stealing): जो वस्तु नहीं दी गई हो, उसे न लेना।
- ब्रह्मचर्य (Celibacy): संयमित जीवन जीना।
- अपरिग्रह (Non-possessiveness): भौतिक वस्तुओं और मोह-माया से मुक्त रहना।
उनका दर्शन:
- उन्होंने आत्मा की स्वतंत्रता, पुनर्जन्म और कर्म सिद्धांत को केंद्र में रखा।
- उन्होंने सामाजिक समानता, महिलाओं के अधिकार और अहिंसा को महत्व दिया।
5. महावीर स्वामी का बिहार से संबंध
महावीर स्वामी का संपूर्ण जीवन बिहार की भूमि से जुड़ा रहा:
- कुंडलग्राम: उनका जन्मस्थान (अब वैशाली ज़िला)
- वैशाली: जैन धर्म का प्रमुख केंद्र
- नालंदा, राजगीर, पावापुरी: उनके प्रवचन स्थली
- पावापुरी: यहीं पर उन्होंने अंतिम सांस ली और निर्वाण प्राप्त किया
6. महावीर स्वामी की मृत्यु और निर्वाण
महावीर स्वामी ने 72 वर्ष की आयु में पावापुरी (बिहार) में निर्वाण प्राप्त किया। उनकी मृत्यु दीपावली के दिन हुई थी, जिसे जैन समुदाय आज भी ‘महावीर निर्वाण दिवस’ के रूप में मनाता है।
पावापुरी:
यह स्थान आज भी जैन तीर्थ यात्रियों के लिए अत्यंत पवित्र है। यहाँ जल मंदिर और समाधि स्थल स्थित हैं, जो उनकी स्मृति को अक्षुण्ण बनाए हुए हैं।
7. Mahavir Swami की शिक्षाओं का प्रभाव
- गांधी जी: महात्मा गांधी ने अहिंसा का सिद्धांत महावीर स्वामी से ही प्रेरित होकर अपनाया।
- विश्व स्तर पर प्रभाव: विश्व के अनेक देशों में जैन धर्म के अनुयायी मौजूद हैं, जो आज भी महावीर स्वामी की शिक्षाओं को जीवन में उतारते हैं।
- शाकाहार का प्रचार: उनके द्वारा अहिंसा के सिद्धांत के कारण शाकाहार को बढ़ावा मिला।
8. Mahavir Swami और आधुनिक युग
आज भी बिहार में महावीर स्वामी की शिक्षाओं की गूंज सुनाई देती है:
- महावीर मंदिर, पटना: यह मंदिर महावीर जी की भक्ति का केंद्र है।
- महावीर कैंसर संस्थान: महावीर स्वामी के नाम पर बना यह अस्पताल बिहार के लोगों को चिकित्सा सेवा प्रदान करता है।
- महावीर जयंती: पूरे भारत और विशेष रूप से बिहार में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
निष्कर्ष
Mahavir Swami केवल एक धार्मिक गुरु नहीं थे, बल्कि वे एक वैश्विक दार्शनिक थे, जिन्होंने मानवता को करुणा, अहिंसा, और संयम की राह दिखाई। उनका जीवन आज भी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बना हुआ है। बिहार की इस पुण्य भूमि ने एक ऐसे महापुरुष को जन्म दिया, जिसने युगों तक चलने वाला एक आध्यात्मिक पथ निर्मित किया।
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📍 पावापुरी जाएं, और उस भूमि को नमन करें, जहाँ महावीर स्वामी ने निर्वाण प्राप्त किया।
🔔 “अहिंसा परमो धर्मः” – यही है उनकी अमर वाणी।
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