
ओणम केरल का सबसे महत्वपूर्ण और भव्य त्योहार है history of onam जो मलयालम कैलेंडर के चिंगम माह (अगस्त-सितंबर) में मनाया जाता है। history of onam festival in hindi यह 10 दिनों तक चलने वाला उत्सव है जिसमें राजा महाबली की वापसी की कथा को केन्द्र में रखकर समारोह आयोजित किए जाते हैं। what is onam about न सिर्फ एक धार्मिक पर्व है onam festival in kerala history बल्कि यह केरल की संस्कृति, history of onam festival परंपराओं और सामाजिक एकता का प्रतीक भी है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि onam origin story
1. पौराणिक मूल
ओणम से जुड़ी प्रमुख पौराणिक कथा राजा महाबली और भगवान वामन से संबंधित है। पुराणों के अनुसार:
- महाबली एक दानव राजा थे जिन्होंने तीनों लोकों पर राज किया
- वामन अवतार में विष्णु ने तीन पग भूमि मांगी
- तीसरे पग में महाबली को पाताल भेज दिया
- महाबली की प्रजा के प्रति भक्ति से प्रसन्न होकर विष्णु ने उन्हें वर्ष में एक बार अपनी प्रजा से मिलने की अनुमति दी
2. ऐतिहासिक विकास
- संगम युग (300 ईसा पूर्व – 300 ईस्वी) में प्रारंभिक उल्लेख
- चेर साम्राज्य काल में राजकीय उत्सव के रूप में मनाया जाना
- मध्यकाल में कृषि उत्सव के रूप में विकसित होना
- आधुनिक काल में राज्य स्तरीय महोत्सव का स्वरूप
ओणम उत्सव के 10 दिन when did onam start
ओणम उत्सव दस दिनों तक चलता है जिसमें प्रत्येक दिन का विशेष महत्व है:

1. अथम (प्रथम दिन)
- घरों में पूक्कलम (फूलों की रंगोली) बनाना शुरू
- कोच्चि में राजा महाबली की शोभायात्रा
2. चिथिरा
- मलयाली घरों में ओणम थोज़ी (दावत) की तैयारियाँ
- पारंपरिक लोक नृत्यों का अभ्यास
3. चोथी
- बाजारों में विशेष खरीदारी
- नौका दौड़ की तैयारियाँ
4. विशाकम
- स्कूलों और कॉलेजों में सांस्कृतिक कार्यक्रम
- पूक्कलम प्रतियोगिताएँ
5. अनिज़म
- प्रमुख नौका दौड़ प्रतियोगिताएँ
- अरनमुला नौका दौड़ का आयोजन
6. थ्रिकेता
- घरों में विशेष पूजा-अर्चना
- मंदिरों में विशेष अनुष्ठान

7. मूलम
- कथकली और मोहिनीअट्टम जैसे शास्त्रीय नृत्यों का आयोजन
- पारंपरिक खेलों की प्रतियोगिताएँ
8. पूरादम
- पूक्कलम का सबसे विस्तृत रूप
- घरों में ओणम सद्या (दावत) की तैयारी
9. उथ्रादम
- राजा महाबली के आगमन की तैयारी
- मंदिरों में विशेष पूजा
10. थिरुवोणम (मुख्य दिन)
- सुबह से ही विशेष पूजा-अर्चना
- 26 विभिन्न व्यंजनों वाली ओणम सद्या
- परिवार के साथ उत्सव मनाना
- थिरुवाथिरा कली (पारंपरिक नृत्य) का आयोजन
ओणम सद्या: पारंपरिक भोज onam festival history
ओणम सद्या इस उत्सव का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसमें 26 से अधिक पारंपरिक व्यंजन परोसे जाते हैं:
- केले के पत्ते पर परोसने की परंपरा
- प्रमुख व्यंजन: अवियल, ओलन, सांभर, रसम
- पचड़ी, किचड़ी, पुलीन्जी जैसे विशेष व्यंजन
- पायसम (मीठा) के विभिन्न प्रकार
- अचार और पापड़ की विविधता
सांस्कृतिक कार्यक्रम
ओणम के अवसर पर आयोजित प्रमुख सांस्कृतिक कार्यक्रम:

1. पुलिकली (बाघ नृत्य)
- रंग-बिरंगे वेशभूषा में कलाकारों द्वारा बाघ का अभिनय
- ढोल की थाप पर नृत्य
2. कथकली
- केरल का शास्त्रीय नृत्य नाटक
- पौराणिक कथाओं का मंचन
3. थिरुवाथिरा कली
- महिलाओं द्वारा किया जाने वाला सामूहिक नृत्य
- दीपक के चारों ओर परिक्रमा करते हुए नृत्य
4. कुम्मी अट्टम
- महिलाओं द्वारा गोल घेरे में किया जाने वाला नृत्य
- पारंपरिक गीतों के साथ प्रदर्शन
5. ओणप्पट्टु (ओणम गीत)
- पारंपरिक लोक गीत
- महाबली और केरल की समृद्धि के गीत
पारंपरिक खेल onam indian festival
ओणम के अवसर पर आयोजित प्रमुख पारंपरिक खेल:

1. वल्लमकली (नौका दौड़)
- सांप नौकाओं की दौड़
- 100 से अधिक नाविक एक साथ
2. कबड्डी
- पारंपरिक रूप से खेला जाने वाला खेल
- ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतियोगिताएँ
3. तालप्पाण्टुकली (झूले का खेल)
- लकड़ी के झूलों पर प्रतियोगिता
- महिलाओं और बच्चों का पसंदीदा खेल
4. अम्बेयाल (हाथी दौड़)
- सजे-धजे हाथियों की परेड
- थ्रिस्सुर पूरम में विशेष आयोजन
आधुनिक समय में ओणम history behind onam festival
समकालीन परिप्रेक्ष्य में ओणम का स्वरूप:
- शहरीकरण का प्रभाव
- एनआरआई और वैश्विक प्रसार
- पर्यटन को बढ़ावा
- डिजिटल ओणम समारोह
- सामाजिक सन्देशों का माध्यम
निष्कर्ष
onam festival history in hindi न सिर्फ केरल बल्कि पूरे भारत का गौरव है जो सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक समरसता का प्रतीक है। onam history यह पर्व हमें अपनी समृद्ध परंपराओं को संजोने और आगे बढ़ाने की प्रेरणा देता है।





“हर साल आता है ओणम, खुशियाँ लाता है ओणम, केरल की शान है ओणम, भारत का अभिमान है ओणम!”
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